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मां गौरा देवी उर्फ हड़प्पा देवी के के वार्षिक मेले में दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

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देवी के दर्शन के दौरान हजारों श्रद्धालुओं की जयकारों की गूंज से क्षेत्र का माहौल हुआ भक्तिमय

सवेरे 4:00 बजे से देर रात तक मेला परिसर में श्रद्धालुओं की लगी भीड़

भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस के छूटे पसीने

रिपोर्टर अनिल शर्मा

ठाकुरद्वारा ( मुरादाबाद )

सीमावर्ती क्षेत्र पर स्थित प्राचीन गौरा देवी मंदिर उर्फ हड़प्पा देवी मंदिर पर 5 जनपदों के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी । हजारों श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में पहुंचकर मां के दरबार में माथा टेक कर अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना की ।
शनिवार को विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी प्राचीन गोरा देवी मंदिर पर विशाल मेले का आयोजन किया गया । मां गौरा देवी के मंदिर को हड़प्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है । प्राचीन समय से यह देवी स्थान प्रचलित है । मेले में उधम सिंह नगर, नैनीताल, रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर जनपद आदि जिलों से श्रद्धालु 25 दिसंबर को लगने वाले वार्षिक मेले में हजारों श्रद्धालु अपने परिवार सहित मां के दरबार में नतमस्तक हो अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए मां देवी की प्रार्थना करते हैं । जबकि प्रतिदिन मंदिर परिसर में पूजा अर्चना के लिए दिन भर तांता लगा रहता है l
बताया जाता है कि मंदिर का इतिहास द्वापर युग और महाभारत काल से जुड़ा हैं । इस मंदिर पर शरद कालीन व चैत्र मास के नवरात्रो एवं 25 दिसम्बर को प्रतिवर्ष मेला लगता है। श्रद्धालुओं का का मानना है कि मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से पूजा अर्चना कर मनोकामना की प्रार्थना करते हैं । मां गोरा देवी देवी अपने भक्तों द्वारा मांगी गयी, मुराद को पूरी करती है। बताया जाता है ,कि पाण्डव पुत्र भीम से अलग होने पर हड़प्पा देवी इसी स्थान पर समाई गयी थी। तप व प्रताप के कारण यहां लोगो के आस्था का केंद्र बना है। यह स्थान द्वापर युग में बना था। उस समय भी प्राचीन स्थान पर क्षेत्रवासी पूजा अर्चना करने के लिए आते थे। उस दौरान हिडबां देवी भीम की धर्म पत्नी बन गई। उनके पुत्र घटोत्कच पैदा हुए थे। मंदिर के पुजारी दिनेश महाराज कई वर्ष से मंदिर व देवी की सेवा करते आ रहे है। उन्होने बताया कि पहले यहां चुनिया ईट का एक छोटा सा चबूतरा बना था। बाद में क्षेत्रीय श्रद्धालुओ ने कुछ बड़ा चबूतरा बनवा दिया । सन 1984 में ठाकुरद्वारा निवासी रतन सैन वैद्य व उनकी पत्नी सावित्री देवी ने इस स्थान पर मंदिर बनाकर देवी मां की प्रतिमा स्थापित की। तभी से लगातार इस स्थान पर मेला लगाया जा रहा है। 1988 में शिव मंदिर ,1995 में हनुमान मंदिर का निर्माण कराया गया। वहां के बुजुर्ग बताते है कि 1947 में भारत विभजन के समय में भी यह स्थान प्रचलित था। तो आज बड़े आकार में दिन प्रति दिन श्रद्धालुओ के सहयोग से बढ़ता जा रहा है। क्षेत्र के श्रद्धालुओ ने भारी संख्या में पहंचकर मां के दरबार में पान, सुपारी, ध्वजा नारियल चढ़ाकर पूजा अर्चना की। प्रसाद चढ़ाने व मां के दर्शन के लिए सुबह चार बजे से श्रद्धालुओ की लंबी कतारें लग गयी थी। जो दर शाम तक मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा ।पूरे दिन मां के दरबार में श्रद्वालुओ के जयकारो से माहौल भक्तिमय हो गया। प्रसाद चौहान के बाद भक्तों ने मंदिर परिसर में लगे मेले मैं जमकर खरीदारी की ।
मेले के दौरान ठाकुरद्वारा नगर निवासी सुरेश चंद्र अग्रवाल, सत्य प्रकाश गुप्ता, हेमंत सैनी, किशोरी लाल, सुनील कुमार , सहित 2 दर्जन से अधिक निशुल्क भंडारे में प्रसाद के स्टाल लगाए गए थे । उत्तराखंड के थाना कुंडा पुलिस द्वारा भीड़ को नियंत्रण करने में का काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा ।

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