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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि एवं लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर समस्त कांग्रेस जनों द्वारा उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी

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काशीपुर द्रोणा सागर रोड स्थित कांग्रेस नवचेतना भवन में आज समस्त जनों द्वारा भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी की पुण्यतिथि एवं लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी की जयंती पर समस्त कांग्रेस जनों द्वारा उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान कार्यक्रम में सर्वसम्मति से कांग्रेस नवचेतना भवन का नाम अब तिवारी जी गुड़िया जी भवन के नाम से प्रस्ताव रखा गया। जिसमें सर्वसम्मति प्रस्ताव पारित किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुशील गुड़िया द्वारा दी गई एवं संचालन महानगर अध्यक्ष कार्यकारी कार्यवाहक मुशर्रफ हुसैन द्वारा किया गया। कार्यक्रम में बोलते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री मुक्ता सिंह ने कहा आयरन लेडी के नाम से विख्यात
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के जीवन पर एक अजीम शख्यियत थीं। उनके भीतर गजब की राजनीतिक दूरदर्शिता थी। इंदिरा का जन्म 19 नवंबर, 1917 को हुआ। पिता जवाहर लाल नेहरू आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वालों में शामिल थे। वही दौर रहा, जब 1919 में उनका परिवार बापू के सानिध्य में आया और इंदिरा ने पिता नेहरू से राजनीति का ककहरा सीखा। वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री डॉ दीपिका गुड़िया आत्रे ने कहा कि आयरन लेडी स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी का जीवन कठिनाइयों के बीच व्यतीत हुआ परंतु वह बचपन से ही मजबूत नारी शक्ति के रूप में वह
मात्र 11 साल की उम्र में उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए बच्चों की वानर सेना बनाई। 1938 में वह औपचारिक तौर पर इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हुईं और 1947 से 1964 तक अपने प्रधानमंत्री पिता नेहरू के साथ उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। ऐसा भी कहा जाता था कि वह उस वक्त प्रधानमंत्री नेहरू की निजी सचिव की तरह काम करती थीं, हालांकि इसका कोई आधिकारिक ब्यौरा नहीं मिलता।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को राजनीति विरासत में मिली थी और ऐसे में सियासी उतार-चढ़ाव को वह बखूबी समझती थीं। यही वजह रही कि उनके सामने न सिर्फ देश, बल्कि विदेश के नेता भी उन्नीस नजर आने लगते थे। अत: पिता के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी का ग्राफ अचानक काफी ऊपर पहुंचा और लोग उनमें पार्टी एवं देश का नेता देखने लगे। वह सबसे पहले लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं। शास्त्री जी के निधन के बाद 1966 में वह देश के सबसे शक्तिशाली पद ‘प्रधानमंत्री’ पर आसीन हुईं। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज देश में आर एस एस विचारधारा के चलते कौमी एकता को तोड़ा जा रहा है भाजपा विकास नहीं देश का महंगाई भ्रष्टाचार के चलते विनाश करने पर उतारू हैं। कांग्रेस नेत्री अलका पाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी को
एक समय ‘गूंगी गुड़िया ’ कही जाने वाली इंदिरा गांधी तत्कालीन राजघरानों के प्रिवी पर्स समाप्त कराने को लेकर उठे तमाम विवाद के बावजूद तत्संबंधी प्रस्ताव को पारित कराने में सफलता हासिल करने, बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने जैसा साहसिक फैसला लेने और पृथक बांग्लादेश के गठन और उसके साथ मैत्री और सहयोग संधि करने में सफल होने के बाद बहुत तेजी से भारतीय राजनीति के आकाश पर छा गईं ।
वर्ष 1975 में आपातकाल लागू करने का फैसला करने से पहले भारतीय राजनीति एक ध्रुवीय सी हो गई थी जिसमें चारों तरफ इंदिरा ही इंदिरा नजर आती थीं। इंदिरा की ऐतिहासिक कामयाबियों के चलते उस समय देश में ‘इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा’ का नारा जोर-शोर से गूंजने लगा। कार्यक्रम सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के जीवन पर प्रकाश डाला गया इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद कांग्रेस जनों में वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री मुक्ता सिंह अनुपम शर्मा सुशील गुड़िया डॉक्टर दीपिका गुड़िया आत्रेय , जितेन्द्र सरस्वती, उमेश जोशी एडवोकेट, अरुण चौहान, इंदुमान, अलका पाल, महेंद्र लोहिया ,ब्रह्मा सिंह पाल ,मंसूर अली मंसूरी ,विमल गुड़िया, साबिर हुसैन संजय चतुर्वेदी आदि तमाम कांग्रेस जन मौजूद रहे

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