
रीवा । सरकारी कालेजों को अब अपने आसपास के किसी एक गांव को गोद लेकर उसके समग्र विकास में मदद कराना अनिवार्य होगा। गोद ग्राम की योजना पहले भी शासन से बनाई थी और सभी कालेजों को इसके लिए निर्देशित किया गया था
लेकिन अब तक कालेजों में इसके प्रति उदासीनता ही सामने आई है कुछ ने इसकी कागजी प्रक्रिया पूरी की लेकिन अधिकांश कालेजों ने किसी तरह से आदेशों का
पालन नहीं किया। इस पर अब उच्च शिक्षा विभाग ने नया दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा कि सभी चाहे वह सरकारी हों अथवा प्राइवेट कालेज उन्हें अपने आसपास दो गांवों को गोद लेकर वहां पर कार्य करना होगा।शासन ने इस संबंध
में कालेजों से प्रस्ताव मांगा है कि वह अपने नजदीक के किस गांव को गोद लेना चाहते हैं। इसमें संबंधित गांव से जुड़ी हर जानकारी की रिपोर्ट भी मांगी गई है ताकि इस बात का मूल्यांकन भी कराया जा सके कि कालेज द्वारा गांव को गोद लेने के बाद यहां पर किस तरह की गतिविधियां संचालित होंगी और गांव के विकास में सहयोग किया जाएगा उच्च शिक्षा विभाग ने कुछ दिन पहले ही वीडियो कांफ्रेंसिंग में कालेजों के प्राचार्यों को इस संबंध में निर्देशित किया था।
गोद लेने से पहले देनी होगी यह जानकारी
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग ने कालेजों से गोद लेने वाले गांवों से जुड़ी जानकारी की प्रोफाइल मांगी है। जिसमें गोद लेने वाले गांव, तहसील एवं जिले का नाम बताना होगा। गांव की कालेज से दूरी, मकानों की संख्या, पंचायत भवन है या नहीं, सामुदायिक भवन, अस्पताल के साथ
ही गांव में मौजूद स्कूलों का विवरण, गांव में महिला-पुरुषों के साथ कुल जनसंख्या, गांव में सामान्य, उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों की अलग संख्या बतानी होगी।
एपीएस विश्वविद्यालय दो गांवों में कर रहा काम
मिली जानकारी में बताया गया है कि शैक्षणिक संस्थानों द्वारा गांवों को गोद लेने की योजना पहले से ही है। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय ने सोनौरा और इटौरा गांव को पहले से गोद ले रखा है यहां पर विश्वविद्यालय द्वारा गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं। हालांकि गांवों के लोगों का कहना है कि गोद ग्राम लेने के बाद कोई विशेष बदलाव नहीं आया है।बड़े कालेजों के लिए की गई अनिवार्यता बता दें कि उच्च शिक्षा विभाग ने गोदग्राम की योजना पहले से प्रारंभ कर रखी है लेकिन अधिकांश कालेजों का यह तर्क रहा है कि स्टाफ की समस्या की वजह से गांवों को गोद लेकर वहां समय नहीं दे पाते हैं। इसलिए अब कहा गया है कि छोटे-बड़े सभी कालेजों को इसमें हिस्सा लेना है। साथ ही एक हजार छात्र संख्या से अधिक वाले कालेजों के लिए यह अनिवार्य होगा।