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खुदाई में मिलीं 12000 साल पुरानी कलाकृतियां, पत्थर और उपकरण

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-तमिलनाडु में एक ही स्थान पर मिले 4 सभ्यताओं के प्रमाण देख हैरानी में पड़े पुरातत्वविद  
चेन्नई । तमिलनाडु में चेन्नई के बाहरी इलाके ओरगडम के वडक्कुपट्टू गांव में एएसआई द्वारा कराई जा रही खुदाई में प्राचीन पत्थर के अनेक ऐसे उपकरण मिले हैं, जो लगभग 12,000 साल पहले के हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण टीम को एक ही गड्ढों की परतों में 4 सभ्यताओं की कलाकृतियां मिली हैं। यहां मेसोलिथिक काल की हाथ से बनी कुल्हाड़ी, स्क्रैपर, क्लीवर और चॉपर मिले हैं।
ये सभी चीजें सैकड़ों पत्थर के टुकड़ों के साथ सतह से सिर्फ 75 सेमी नीचे मिले हैं। चेन्नई सर्कल के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद् एम कालीमुथु ने कहा यह एक ऐसी जगह की तरह दिखता है, जहां प्राचीन लोग शिकार करने के लिए एक साथ पत्थर के औजार बनाते थे। इसे पत्थर बनाने की फैक्ट्री भी कहा जा सकता है।
पुरातत्वविदों को उसी 10मीÛ10मी गड्ढे की ऊपरी परत पर, संगम युग (2,000 से अधिक साल पहले) की कलाकृतियां और रूले हुए बर्तन, रोमन एम्फोरा शेर्ड और कांच के मोती भी मिले हैं, जो आश्चर्य में डालते हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार यह रोम के साथ सक्रिय व्यापार का संकेत देते हैं। खुदाई में सोने के गहने, टेराकोटा के खिलौने, मोती, चूड़ियों के टुकड़े, बर्तन के टुकड़े और सिक्के भी बरामद किए गए हैं। आसपास के क्षेत्र में, सतह पर, टीम ने प्रारंभिक पल्लव युग (275 सीई) से लेकर पल्लवों (897 सीई) तक की मूर्तियों की खोज की।
लगभग एक किलोमीटर दूर गुरुवनमेदु में एक प्राचीन दफन स्थल मिलने के बाद, कई वर्षों से, इतिहास के छात्र, शोधकर्ता और पुरातत्वविद ओरगडम के पास वडक्कुपट्टू क्षेत्र का अध्ययन कर रहे हैं। कुछ महीने पहले एएसआई की एक टीम ने यहां खुदाई करने का फैसला किया। उत्खनन दल को शुरुआती खुदाई में ही सोने के गहने, मोती, टूटी चूड़ियां, बर्तन, सिक्के और टेराकोटा के खिलौने मिले। वे जितनी गहराई में उतरते गए उतने ही पुराने टुकड़े मिलते गए। 75 सेमी की गहराई पर उन्हें छेनी वाले पत्थर के औजार मिले। मेसोलिथिक सभ्यता के पत्थर की नक्काशी वाली पल्लव युग की मूर्तियां मिलीं। एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद् एम कालीमुथु ने कहा तिरुनेलवेली और थूथुकुडी जिलों में तेरी साइटों के अलावा, तमिलनाडु में वडक्कुपट्टू एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां मध्यपाषाण काल के औजारों के प्रमाण मिले हैं। टाइपोलॉजिकल अध्ययन के अनुसार, उपकरण लगभग 12,000 साल पहले बनाए गए होंगे।
कार्बन डेटिंग और थर्मोल्यूमिनेसेंस (टीएल) डेटिंग से उपकरणों की सही उम्र का पता चलेगा। एक ही स्थान पर चार अलग-अलग युगों से संबंधित पत्थर के औजार, कलाकृतियां और आभूषण मिलना अद्वितीय है। शोधकर्ताओं ने कहा कि छोटे आकार और औजारों का पैनापन, जो प्राचीन लोगों ने पत्थरों से गुच्छे निकालकर बनाए थे, ने संकेत दिया कि बस्ती मेसोलिथिक काल की थी। कालीमुथु ने कहा कि विभिन्न प्रकार के पत्थर के औजारों से पता चलता है कि यहां बड़ी संख्या में लोग रहते थे। श्रीधरन ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि उसी साइट पर टीम को संगम युग से संबंधित हस्तनिर्मित छत टाइलें मिलीं। उन्होंने कहा कि इनके कीझाड़ी और कोडुमानल जैसे स्थानों में पाए जाने वाली टाइलों की तुलना में आकार में भिन्न हैं। अन्य खोज में पल्लव-युग की मूर्तियां, रेत के पत्थरों से बनी मिलीं। ये समय के साथ नष्ट हो गई हैं। टीम को मध्यकाल में एक मंदिर के अस्तित्व का संकेत भी मिला है, क्योंकि विष्णु और एक शिवलिंग की मूर्तियां मिलीं हैं।

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