मुजफ्फरप। मुजफ्फरपुर में स्थित श्मशान घाट बच्चों के शिक्षा का स्थान बन गया है। जिले के मुक्तिधाम श्मशान घाट पर गरीब बच्चों की पढ़ने आवाजें सुनाई दे रही हैं। इन गरीब बच्चों की जिंदगी में उजाला करने का तीन दोस्तों ने जिम्मा उठाया है। दरअसल, मुक्तिधाम के आसपास के गरीब परिवार के बच्चे लाश पर से बताशा और फल चुनते थे, लेकिन आज वे दो दूनी चार पढ़ रहे हैं। मुक्तिधाम संयोजन समिति और सुमित नाम के युवक के संयुक्त प्रयासों से यह मुमकिन हुआ है। सुमित ने बताया कि 2017 में एक परिचित की मौत हो गयी थी। शव का दाह संस्कार करने मुक्तिधाम आए थे। उसी समय देखा कि किस तरह बच्चे लाश पर से बताशा और फल चुन रहे हैं। यह देखकर उनका दिल पसीज गया। पढ़ने-लिखने और खेलने की उम्र में ये बच्चे किस तरह पेट के लिए मारामारी कर रहे थे।
सुमित ने बताया कि यहीं से उनके मन मे जिज्ञासा जगी, कि क्यों न इन्हें साक्षर बनाया जाए। लेकिन इन गरीब बच्चों के मां-बाप के पास इतना पैसा कहां था कि बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल भेजते। वे खुद भी साक्षर नहीं थे, तो शिक्षा का महत्व क्या समझते। मुक्तिधाम में स्थित महाकाल मंदिर के पुजारी से सुमित ने बात की। सुमित की इस सोच से पुजारी काफी खुश हुए और आसपास के लोगों को बुलाया। लोगों से इस बारे में उन्होंने बात की, तो वे सुमित की इस नेक पहल में साथ देने के लिए तैयार हो गए। बस फिर क्या था एक-एक कर 46 बच्चे जमा हो गए और इन्हें मुफ्त शिक्षा मिलने लगी। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए सुमित ने अपने दो दोस्त अभिराज कुमार और सुमन सौरभ को भी तैयार कर लिया, जिसके बाद बच्चों की संख्या बढ़कर आज 81 हो गई है। सुमित कहते हैं कोरोना काल में कक्षाएं तो बंद हैं, लेकिन वे बच्चों के घर जाकर बातचीत करते रहते हैं।
मुक्तिधाम संयोजन समिति के सचिव रमेश केजरीवाल ने बताया कि पहले बच्चे इधर-उधर घूमते रहते थे। जब से इन बच्चों की पाठशाला शुरू हुई है, तब से इनमें पढ़ने के लिए रुचि देखी जा रही है। अब ये बच्चे पढ़ाई करने के साथ ही खाली समय में खेलते नजर आते हैं। नगर निगम के कर्मचारी अशोक कुमार ने कहा कि तीन दोस्तों की नेक मुहिम रंग ला रही है। जिन बच्चों ने कभी पढ़ाई के बारे में नहीं सोचा था, आज वे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।