इंदौर। पुलिस ने एक नकली इंटरपोल अधिकारी को पकड़ा है। यह नकली अधिकारी शहर के एक कारोबारी के भूमाफियाओं के पास फंसे 30 करोड़ रुपए निकलवाने के लिए इंदौर आया था। वह श्रीमाया होटल के चार कमरों के सुईट में ठहरा हुआ था। 30 करोड़ रुपए निकलवाने के लिए उसने मोटी फीस भी ले रखी थी लेकिन काम नहीं होने पर कारोबारी ने उसकी शिकायत क्राइम ब्रांच से कर दी। क्राइम ब्रांच ने एमआईजी पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आरोपी को पकड़कर कोर्ट में पेश किया जहां से उसे 18 नवम्बर तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। एमआईजी थाना टीआई अजय वर्मा ने बताया कि पीयूष नेमा पिता हेमंत नेमा (33) निवासी केसरबाग रोड इंदौर की शिकायत पर विपुल शेफर्ड की एबीरोड स्थित श्रीमाया होटल से पकड़ा है। आरोपी खुद को इंटरपोल का अधिकारी बता रहा था लेकिन जांच में वह फर्जी निकला। आरोपी तीन महीने से पीडि़त को व्यापार के सिलसिले में उलझे करीब 30 करोड़ रुपए निकलाकर देने का झांसा दे रहा था। आरोपी को गत दिवस गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया जहां से उसे 18 नवम्बर तक पुलिस रिमांड पर ले लिया गया है। पुलिस के अनुसार फरियादी पीयूष के लगभग 30 करोड़ रुपए भूमाफिया बिल्डर चिराग साहू, चंपू अजमेरा, दीपक मददा और अरुण पंचाल ने व्यापार के नाम पर ले रखे हैं। भूमाफिया यह पैसा पीयूष को वापस नहीं कर रहे थे। पीयूष ने उज्जैन के बिल्लर पपन वनवासी के माध्यम से विपुल शेफर्ड से संपर्क किया और पैसों को निकलवाने के लिए ही उसे इंदौर बुलवाया। पैसा निकलवाने के नाम पर आरोपी ने फरियादी से लगभग साढ़े तीन लाख रुपए भी ले लिए थे। आरोपी विपुल शेफर्ड मूल रूप से उत्तरप्रदेश का रहने वाला है। एमबीए की पढ़ाई करने के बाद उसने बेंगलुर में नौकरी की। कुछ समय बाद वह मप्र के बैतूल में आकर रहने लगा। टीआई अजय वर्मा के मुताबिक उसके पास से जो कार्ड और पुलिस लिखा लोगो मिला है। वह नकली है। उसके बारे में दिल्ली के अफसरों से भी जानकारी निकाली गई। दिल्ली पुलिस ने इस नाम के किसी भी व्यक्ति की पहचान नहीं होने की बात कही है। आरोपी विपल के बारे में जानकारी मिलने के बाद पहले दिन कार्रवाई को लेकर क्राइम ब्रांच के अफसर और थाने के पुलिसकर्मी घबराते रहे। उन्हें इस बात का डर था कि कहीं वो सचमुच इंटरपोल का अफसर ना हो। पूरी तफ्तीश के बाद क्राइम ब्रांच पुलिस अपने साथ उसे ले गई और पूछताछ के बाद पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया। आरोपी विपुल जिस सुईट में ठहरा था, वहां से पुलिस की डायरी में इंदौर के अफसरों के नाम के साथ कुछ लिफाफे और एक आईडी कार्ड मिला। पहले विपुल खुद को इंटरपोल का अफसर बताकर रौब झाड़ता रहा। इस पर क्राइम ब्रांच की टीम ने एमआईजी के पुलिसकर्मियों को उसे थाने से ले जाने के लिए कहा। लेकिन पुलिसकर्मियों ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि जब तक दिल्ली से तफ्तीश नहीं हो पाती तब तक वह विपुल को थाने नहीं ले जा सकेगी। शिकायकर्ता पूयूष ने कमलेश पांचाल को व्यापार के सिलसिले में करीब पौने दो करोड़ रुपए दिए थे। जो वापस नहीं आ रहे थे। इसी के चलते पीयूश के दोस्त पवन सुले ने अपने परिचित विपुल शेफर्ड के दिल्ली इंटरपोल ब्रांच में अफसर होने की बात बताई और उससे मिलवा दिया। इसके बाद से विपुल और पीयूष के बीच बातचीत होती रही। हालांकि विपुल ने उलझी राशि वापस दिलाने का णंसा देकर पीयूष से करीब साढ़े तीन लाख रुपए और ठग लिए। जिसके बाद पीयूष ने पुलिस से शिकायत की। टीआई अजय वर्मा के मुताबिक, आरोपित विपुल के पास से इंटरनेशनल पुलिस आर्गेनाइजेशन (आइपीओ) का बैच और आइडी कार्ड मिला है। विपुल ने बताया कि मार्च में इटली की संस्था से आनलाइन सदस्यता ली थी। यह सदस्यता क्राइम रोकथाम का काम करती है। उसने आनलाइन ट्रेनिंग भी ली थी। विपुल ने मद्रास में एमबीए किया है। उसकी पत्नी दीपा अहमद जिस संस्था से सदसयता ली वह फर्जी है। वह अफसरों का नाम लेकर लोगों को ठग रहा था। एक कारोबारी से 15 लाा रुपये ले चुका था। वसूली का ठेका देने वाला पीयूष हुंडी और ब्याज का धंधा करता है। तीन महीने पूर्व ही नौकर की हत्या के आरोप में वह जेल से छूटा है।