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9 विवाह मुहूर्त के बाद फिर लगेगा विराम

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– अगले साल शादियों की 86 लग्न


भोपाल । त्योहारी सीजन के बाद देवउठनी एकादशी के साथ विवाह कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस बार देवउठनी एकादशी पर शुक्र अस्त होने के कारण विवाह के शुभ मुहूर्त तो नहीं है लेकिन 20 नवम्बर के बाद विवाह मुहूर्तों की शुरुआत हो जाएगी। इसी प्रकार अगले माह से ही कई समाजों की ओर से विवाह योग्य युवक।युवतियों के लिए परिचय सम्मेलन के आयोजन भी किए जाएंगे। खास यह है कि शादियों में जल्द ही एक माह का विराम भी लग जाएगा।
देवउठनी एकादशी का पर्व 4 नवम्बर को मनाया जाएगा लेकिन इस दौरान शुक्र अस्त होने के कारण विवाह कार्य नहीं होंगे। शुक्र का उदय 20 नवम्बर को होगा इसलिए शादियों के मुहूर्तों की शुरुआत 25 नवम्बर से हो जाएगी। वहीं अगले वर्ष 86 मुहूर्त रहेंगे।
एक माह का विराम
विवाह मुहूर्त शुरू होने के बाद 15 दिसम्बर से 15 जनवरी तक विवाह कार्यों पर एक माह का विराम लगेगा। धनु की संक्रांति के कारण विवाह कार्य नहीं होंगे। पंडित विष्णु राजौरिया ने बताया कि जब सूर्य धनु राशि में होते हैं उस दौरान विवाह कार्य नहीं होते हैं। 15 जनवरी से सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा इसी के साथ विवाह कार्य शुरू होंगे। पंडितों के अनुसार विवाह कार्यों के लिए गुरु और शुक्र का उदित होना जरूरी है। गुरु बल और शुक्र बल देखकर ही विवाह कार्य किए जाते हैं। दोनों में से अगर एक ग्रह भी अस्त रहा तो इस स्थिति में विवाह कार्य नहीं होते है। इस बार देवउठनी एकादशी पर शुक्र अस्त रहेगा इसलिए इस मुहूर्त में शादियों के योग नहीं है। पंडित विष्णु राजौरिया के अनुसार विवाह के दौरान गुरु व शुक्र उदित होने से दाम्पत्य जीवन में सफलता,सुख-समृद्धि, यश-वैभव आदि की प्राप्ति होती है।
कई समाजों के युवक-युवती परिचय सम्मेलन
नवम्बर-दिसम्बर माह में कई समाजों की ओर से युवक-युवतियों के लिए सामाजिक परिचय सम्मेलनों का आयोजन भी किया जाएगा। इस दौरान सामाजिक संस्था जैनिथ आर्गेनाइजेशन की ओर से 13 नवम्बर को मुस्लिम समाज का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसी प्रकार जैन समाज का तीन दिवसीय सम्मेलन 17 दिसम्बर से होगा, वहीं राजपूत समाज की ओर से 18 दिसम्बर को सम्मेलन होगा। इसी तरह नवम्बर, दिसम्बर में कई समाज के सम्मेलन आयोजित होंगे।

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