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समलैंगिक विवाह की मांग का घोर विरोध, धर्मयात्रा महासंघ ने सौंपा ज्ञापन

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काशीपुर। धर्मयात्रा महासंघ ने समलैंगिक विवाह का घोर विरोध करते हुए इस पर अविलंब रोक लगाए जाने हेतु राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह को सौंपा है।  
ज्ञापन में कहा गया है कि वास्तव में समलैंगिक विवाह हमारी भारतीय संस्कृति, धर्म, पुरातन मान्यताओं, सभ्यता के उच्च आदर्शों व मान मर्यादाओं के विपरीत है। हमारे देशवासी चाहें हिन्दू हों या मुसलमान अथवा इसाई। उनके धर्मगुरू या उनके समाज के मान बिन्दु अथवा अनुकरणीय ग्रंथ किसी भी प्रकार से समलैंगिक अनैतिक सम्बन्धों का समर्थन नहीं करते। विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संगठनों से जुड़े बन्धुओं का स्पष्ट मत है कि समलैंगिक सम्बन्ध जैसी समाज विरोधी, संस्कृति विरोधी एवं स्वस्थ परिवारवाद विरोधी गतिविधियों से अपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और इसकी आड़ में हमारे नासमझ भाई-बहिन कुछ ऐसे कुकृत्य करने के लिये भी प्रेरित होंगे जो कानून की दृष्टि में भी अपराधिक कृत्य माने जाते हैं और दण्डनीय हैं। यह भी आग्रह किया गया कि शब्द विवाह को विभिन्न नियमों, अधिनियमों, लेखों एवं लिपियों में परिभाषित किया गया है। सभी धर्मों में, केवल विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के विवाह का उल्लेख है। विवाह को, दो अलग लैंगिकों के पवित्र मिलन के रूप में मान्यता देते हुए, भारत का समाज, विकसित हुआ है, पाश्यात्य देशों में लोकप्रिय, दो पक्षों के मध्य, अनुबंध या सहमति को मान्यता नहीं दी है। उपरोक्त के अलावा कुछ अवर्णनीय तथ्यों के आधार पर समलैंगिक विवाह की मांग का पुरजोर शब्दों में विरोध करते हुए राष्ट्रपति से आग्रह किया गया है कि भारतीय संस्कृति, राष्ट्रधर्म व राष्ट्रहित में समलैंगिक विवाह के समर्थन में उठ रही मांग और सर्वाेच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन वाद को किसी भी स्थिति में स्वीकृति न दिये जाने के मार्ग में आवश्यक कदम उठाया जाये। ज्ञापन सौंपने वालों में कृष्ण कुमार अग्रवाल एडवोकेट, पार्षद गुरविन्दर सिंह चण्डोक, राजेन्द्र प्रसाद राय, अशोक कुमार अग्रवाल पैगिया, मदनमोहन गोले, चन्द्रभान सिंह, प्रशान्त पंडित, जय प्रकाश सिंह, पंकज अग्रवाल, विपिन अग्रवाल एडवोकेट, राजपाल आदि थे।

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