छोटे-छोटे बच्चों में मोबाइल फोन का क्रेज ऐसा है कि वे मोबाइल देखना छोड़ते ही नहीं है। आंखों में प्राकृतिक रूप से रहने वाला पानी (लिक्विडिटी) खत्म होकर आंखें सूख जाती है। लेकिन बच्चे हैं कि मोबाइल छोड़ते ही नहीं है। इससे उनके अभिभावकोंं मे चिंता है। उनके बच्चों की आंखेंं बीक न हो जाय। रही सही कसर कोरोना महामारी ने पूरी कर दी थी। कोरोना की वजह से स्कूल बंद थे तो घर पर बच्चे ज्यादा समय तक मोबाइल देखते थे। पढ़ाई लिखाई भी इंटरनेट से ऑनलाइन होती थी तो और ज्यादा मोबाइल देखने में आता था। हालत इतनी खराब है कि छोटे बच्चे मोबाइल के आदि हो गए है। डरावने चरित्र के कार्टून देखते हैं और रात में डरकर उठ जाते हैं। मां-बाप भी बच्चों की हरकतों से परेशान हैं लेकिन कुछ नहीं कर सकते। मोबाइल, कम्प्यूटर, टीवी देख देखकर बच्चे भी परेशान हैं कि उनकी आंखेंं भी बीक हो रही है उधर मां बाप भी। अब बच्चों को मोबाइल की आदत पड गई है कैसे इस आदत को बदलेंं।