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प्रधान के घर में अवैध तमंचा के पकड़ी फैक्ट्री

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ग्राम प्रधान सहित दो गिरफ्तार
अवैध कारोबार में पत्नी भी थी शामिल

मेरठ में पुलिस ने प्रधान के घर छापेमारी के दौरान बड़ी सफलता हांसिल की है।यहाँ पुलिस ने पूर्व प्रधान के घर पर चल रही तमंचा फैक्ट्री का खुलासा किया है। पुलिस के मुताबिक तमंचों का निर्माण आगामी विधानसभा चुनाव में आसपास के जिलों में खपाने के लिए किया जा रहा था। खुद प्रधान पद के प्रत्याशी और उसके भाई को तमंचे बनाते हुए रंगेहाथ पकड़ा गया है। आरोपियों के पास से एक देशी रायफल, एक देशी बंदूक, तीन तमंचे, 300 कारतूस, 200 खोखे व व अन्य सामान बरामद किया है।

एमए और दसवीं पास हैं दोनों आरोपी

मेरठ के एसपी सिटी विनीत भटनागर ने गुरुवार को प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि दौराला क्षेत्र के रुहासा गांव में सबी अख्तर के घर पर अवैध तमंचे बनाने का काम चल रहा है। सूचना के आधार पर दौराला इंस्पेक्टर नरेंद्र शर्मा पुलिस टीम के साथ सबी के घर पहंचे और सबी अख्तर व उसके भाई रजी अख्तर को गिरफ्तार कर लिया। दोनों घर के बेडरूम में अवैध तमंचे बना रहे थे। सबी एमए पाl है, जबकि उसका भाई रजी 10वीं तक पढ़ा है।

बेडरूम से भारी मात्रा में हथियार बरामद

यहां पुलिस ने सबी अख्तर के बेडरूम में रखी सेफ से भारी मात्रा में अवैध हथियार और 300 तैयार कारतूस बरामद किए हैं। इसके अलावा हजारों कारतूस बनाने के लिए रखा गया बारूद और अन्य सामान भी बरामद किया गया है। पुलिस अधिकारियों की मानें तो इस पूरे सामान से 2 से 3 हजार कारतूस बनाए जा सकते हैं।

आसपास के जिलों में होनी थी सप्लाई

उसने बताया कि चुनाव से पहले मेरठ, मुजफ्फनगर और शामली में अवैध हथियारों की डिमांड है, जिसके चलते वह घर पर ही तमंचा फैक्ट्री चला रहा था। ये तमंचे इन सभी जिलों में सप्लाई किए जाने थे। सबी के मुताबिक देशी रायफल के लिए उन्हें 4 हजार जबकि तमंचे के लिए 2 हजार रुपये मिलते हैं।

पत्नी भी हथियार तस्करी में शामिल

पुलिस के मुताबिक अवैध हथियारों की इस तस्करी में सबी अख्तर की पत्नी शबनम भी शामिल है, जबकि उसकी देवरानी रूबीना की भूमिका की जांच की जा रही है। इस गिरोह में 3 अन्य लोग भी शामिल हैं जिनकी तलाश की जा रही है। सबी ने पुलिस को बताया कि वह यूपी पुलिस के सिपाही रूहासा निवासी जहीन से 5 हजार रुपये में 303 के कारतूस खरीदते थे। उसने बताया कि इस समय आसपास के इलाकों में कारतूस की भारी डिमांड है। इसी को लेकर कारतूस बनाने की फैक्ट्री डाली गई थी

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