फर्जी रिश्ते बनाकर जमानत कराने वाले महिला समेत चार लोग गिरफ्तार

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मुरादाबाद। साहब, लड़के को छुड़वाना है, इसके घरवाले बहुत परेशान हैं… हम जमानत के कागजात लाएं हैं। तू कौन है भाई… हम इसके फूफा लगते हैं…और ये बुआ हैं…। ऐसी ही फर्जी रिश्ते बनाकर और दो हजार रुपये में फूफा और तीन हजार रुपये में बुआ बनाकर जमानत कराने वाले गिरोह का सिविल लाइंस पुलिस ने पर्दाफाश किया है। पुलिस ने एक महिला समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि ये रुपये लेकर फर्जी रिश्तेदार लेकर आते थे और बंदियों की जमानत कराकर ले जाते थे। इनमें सबसे ज्यादा बुआ और फूफा बनाकर लाया जाता था। इस गिरोह का सरगना कचहरी में काम करने वाला व्यक्ति है। पुलिस लाइन में पुलिस अधीक्षक नगर अमित आनंद ने बताया कि 22 अगस्त 2020 को भगतपुर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष कोमल सिंह ने सिविल लाइंस थाने में और तीन फरवरी 2021 को बिलारी के प्रभारी निरीक्षक मदन मोहन तथा 19 मार्च को प्रभारी निरीक्षक मूंढापांडे नवाब सिंह ने सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें बताया था जेल में बंद आरोपियों को रिहा कराने के लिए कुछ लोग फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमानती तैयार कर रहे हैं। सिविल लाइंस थाने की पुलिस और क्राइम ब्रांच ने इस मामले की जांच पड़ताल शुरू की। इसके बाद कड़ी से कड़ी जुड़ती चली गई। एसपी सिटी ने बताया कि शुक्रवार को इस मामले में छजलैट थानाक्षेत्र के गांव गोपालपुर निवासी राजेश शर्मा, मझोला थानाक्षेत्र के कांशीराम नगर निवासी सईद उर्फ अब्दुल वहीद, मूंढापांडे थानाक्षेत्र के गांव खाईखेड़ा निवासी लईक और रोशन जहां को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से कुछ फर्जी दस्तावेज भी बरामद किए हैं। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह जिस व्यक्ति की जमानत लेते थे उसे अपना रिश्तेदार बताते थे। ताकी कोई इन पर शक न कर सके। अधिकांश मामलों में बुआ और फूफा बनकर आते थे। शक न हो इसके लिए कहानी बनाई जाती थी कि घर वाले परेशान हैं, इसलिए उनमें से कोई आ नहीं सका। सीओ इंदु सि(ार्थ ने बताया कि शुक्रवार शाम सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया है। एसपी अपराध अशोक कुमार ने बताया कि गिरोह का सरगना राजेश शर्मा कचहरी में ही पूर्व में किसी वकील के पास काम करता था। राजेश कचहरी में ऐसे अपराधियों के पैरोकारों व परिजनों से संपर्क करता था। जिनकी जमानत लेने वाला कोई नहीं मिलता था। वह ऐसे अपराधियों के परिजनों से रकम तय कर लेता था। ग्राहक मिलने के बाद राजेश शर्मा इंटनरेट से खसरा खतौनी निकलवा लेता था। फिर उन्हीं खतौनियों के नाम फर्जी आधार कार्ड बनवाकर जमानत से संबंधित सभी दस्तावेज तैयार करके जमानत करा लेते थे। जमानत के कागजों को सत्यापन के लिए संबंधित थाने को भेजा जाता है, मगर राजेश शर्मा प्रपत्रों को थाने तक पहुंचने ही नहीं देता था। इसके लिए उसने थानों की फर्जी मोहर बना रखी थीं। उसके पास तहसील की भी फर्जी मोहर थे।

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