रुद्रपुर। मेडिसिटी अस्पताल के सामने स्क्रैप, किराना और कैंटीन की दुकान में सिलेंडर फटने से आग लग गई। आग में पड़ोस की चार अन्य दुकानें चपेट में आ गईं, आगे में पांचों दुकानें स्वाहा हो गईं। दुकानों में रखी नगदी समेत सारा सामान जलकर राख हो गया। दमकल की दो गाड़ियों ने किसी तरह आग पर काबू पाया। सूचना पर विधायक राजकुमार ठुकराल भी मौके पर पहुंच गए। दुकानदारों ने बताया कि उनका लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
खटीमा के बग्गा चौवन निवासी धर्म सिंह ने बताया कि बड़े भाई कुंदन सिंह ने सुबह करीब साढ़े पांच बजे कैंटीन खोलकर चाय बनाने के लिए चूल्हे में आग लगाई। पाइप लीकेज होने की वजह से सिलेंडर में तेजी के साथ गैस रिसाव होने लगा। कुंदन ने आग से काबू पाने के लिए सिलेंडर को दुकान के बाहर घसीटना शुरू कर दिया, लेकिन आग ने तेजी पकड़ ली और सिलेंडर फट गया। जिससे कुंदन का हाथ पूरी तरह झुलस गया है। सिलेंडर फटने के बाद आग ने विकराल रूप ले लिया और कैंटीन के पीछे स्क्रैप की दुकान में भी आग पकड़ ली। इसके बाद पास की दो कैंटीनों में भी लग गईं। लोग आग को बुझा पाते इससे पहले ही पड़ोस में ही एक बिरयानी की दुकान में भी आग लग गई। पांचों दुकानें एक साथ धूं-धूं कर जल उठीं। किसी ने फायर बिग्रेड को सूचना दे दी। फायर बिग्रेड ने कड़ी मशक्कत के बाद आधे घंटे में आग पर काबू पाया। दुकानदार कुंदन सिंह, चंदा पाल, मो. हयात, इलियाज और चंदा पाल ने बताया कि सभी का करीब 19 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। कैंटीन संचालकों ने बताया कि उनकी बाइक, फर्नीचर, इंवर्टर, नगदी और दुकान मलबे में तब्दील हो चुकी है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी बलदेव यादव ने बताया कि आग काफी ज्यादा बढ़ चुकी थी, काफी मशक्कत के बाद इसको बुझाया ।
किराना व्यवसायी चंदा पाल ने बताया कि उन्होंने अपना व्यवसाय छह माह पहले शुरू किया था। इसके लिए उन्होंने लोन लेकर दुकान शुरू की थी। सुबह जब आग लगी तो सबसे पहले उसने लपटें देखी थीं। यह देकर वह बाहर निकल आये, जबकि उनका परिवार किराना स्टोर के अंदर सोया हुआ था। आग बढ़ती देखकर उन्होंने आवाज देकर सभी घरवालों को बाहर बुला लिया। इसके साथ ही अन्य दुकानदारों को भी आवाज लगाई जिससे सभी बाहर आ गए।
मिलक बिलारी निवासी कैंटीन संचालक मो. हयात और इलियाज दोनों भाई हैं। आग से दोनों भाईयों की कैंटीन में रखा सामान भी चल गया है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार की रोजी इसी से चलती थी। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो साल से कारोबार काफी धीमा चल रहा था। इधर, कारोबार थोड़ा ठीक चल रहा था। लेकिन आग के कारण एक बार उनके परिवार को तगड़ा झटका लगा है। अब दोबारा कैंटीन चलाने के लिए उनके पास पैसा भी नहीं बचा है।
कैंटीन संचालक ने बताया कि उनको अंदेशा है कि रात को ही पाइप निकल गया था। जब सुबह बड़े भाई ने चूल्हे में आग लगाई तो गैस का रिसाव होने लगा और उनके हाथ को आग ने पकड़ लिया। सिलेंडर को बाहर करते वक्त उनके हाथ में फफोले पड़ गए, जिससे उनको अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार कर घर भेज दिया।