लोभी व्यक्ति गुरू या संत कदापि नहीं हो सकता: चैतन्यपुरी महाराज
-गढीनेगी पधारने पर चैतन्य महाप्रभु का हुआ भव्य स्वागत
काशीपुर। श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर स्वामी श्री हरि चैतन्यपुरी जी महाराज ने यहाँ श्री हरि कृपा धाम आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि संत, गुरू व परमात्मा का दर, दाता का दर है ना कि भिखारी का। आज के तथाकथित संत, गुरू ब्राह्मण व शिक्षिकों ने अपने सम्मान व गरिमा को स्वयं खोया है। संत व गुरू हमारी संपत्ति नहीं अपितु संतति चाहते हैं। संपत्ति चाहने वाला लालची, लोभी व्यक्ति गुरू या संत कदापि नहीं हो सकता। सच्चा भाव ही सच्ची उपासना है। सच्चे हृदय से प्रेम व श्र(ापूर्वक की गई प्रार्थना को परमात्मा अवश्य सुनते हैं चाहे व्यक्ति को वेद, शास्त्र, पुराणों का ज्ञान हो या न हो भाषा शैली भी विशेष हो या न हों चाहे हम शिक्षित हों या अशिक्षित हों, शु( हार्दिक भावनाओं से किसी प्रकार भी प्रार्थना की जाए परमात्मा उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि हम स्वयं इतनी चिंता नहीं कर सकते जितना की प्रभु का चिंतन दृदृढ़ विश्वास पूर्वक करने पर स्वयं परमात्मा हमारी चिंता करेंगे व ध्यान रखेंगे। जीव मात्र से बिना किसी स्वार्थ के हित चाहने व प्रेम करने वाले तो एक मात्र संत, गुरु व परमात्मा ही हैं। प्रातः काल श्री महाराज ने श्री हरेश्वर महादेव का विश्व शांति एंव भारत की समृ(ि व खुशहाली की कामना से महाभिषेक भी किया। श्री हरि कृपा आश्रम धाम आश्रम पहुँचने पर हज़ारों भक्तों ने श्री महाराज जी का फूल मालाएँ पहनाकर, आरती उतारकर पुष्प वृष्टि करते हुए भव्य स्वागत किया।