हिसार । हरियाणा के हिसार में एक मोटरसाइकिल चालक युवक की सांड से टक्कर होने से मौत हो गई। हांसी की रामलाल कॉलोनी के रहने वाले 33 वर्षीय सोनू की सांड की टक्कर से दर्दनाम मौत हो गई। सोनू मोटरसाइकिल पर सवार होकर अपने दोस्त को छोड़ने के लिए बस स्टैंड जा रहा था। इसी दौरान मौची महौल्ले में सामने से भागते हुए आ रहे सांड ने सोनू को टक्कर मार दी, जिसके कारण सोनू की छाती में सांड का सींग घुस गया। इसके बाद सांड ने उसे उठाकर हवा में उछाल दिया, जिससे सोनू गंभीर रुप से घायल हो गया। आसपास के लोग उसे इलाज के लिए पास स्थित एक निजी अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों का कहना है कि खून ज्यादा बहने के कारण सोनू की मौत हुई है। सोनू अविवाहित था।
सोनू के दोस्त मोनू यादव ने बताया कि सोनू उसे छोड़ने के लिए मोटरसाइकिल पर सवार होकर बस स्टैंड जा रहा था। जैसे ही वे मोची मोहल्ला पहुंचे तो उनसे चंद कदमों की दूरी पर ही अचानक एक सांड उनकी तरफ दौड़ता हुआ आया और उसने सोनू को टक्कर मार दी। टक्कर के दौरान सांड का सींग सोनू की छाती में जा घुसा जिससे वह लहूलूहान हो गया और वह जमीन पर जा गिरा। उन्हें उपचार के लिए निजी अस्पताल लेकर पहुंचे जहां कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई।
सोनू खेतीबाड़ी कर परिवार को गुजारा करता था। सोनू के परिवार में उसके बाद उसका छोटा भाई व उसकी मां है। पिछले एक महीने से सोनू के परिवार में दो मौते हो चुकी हैं। करीब 1 महीने पहले बिमारी के चलते सोनू के पिता बलवान सिंह की मौत हो गई थी। जबकि करीब 20 दिन पहले ही सोनू की बुआ की मौत हो गई थी। परंतु अब सोनू की मौत की खबर ने परिवार को तोड़ कर रख दिया है। सोनू की मां भी कई दिनों से बीमार है और सुना ही उसकी देखभाल करता था। हांसी शहर में ये पहली बार नहीं है कि किसी बेसहारा पशु ने किसी की जान ली हो। करीब एक महीना पहले ही बेसहारा पशु ने भाजपा नेता मंजीत जांगड़ा की घर के बाहर खेल रही करीब 10 वर्षिय भतीजी की जान ले ली थी। इससे पहले भी पशु शहर में कईयों की जान ले चुके हैं। शहर में लगभग हर चैक चैराहे पर आवारा पशुओं का जमावड़ा देखा जा सकता है।
प्रशासन द्वारा बार-बार शहर को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने का ऐलान किया जा जाता रहा है। परंतु हर बार यह अभियान फोटो सेशन तक ही सिमित रहता है। यहीं बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए लाखों रुपये का टेंडर भी दिया जाता है। परंतु टेंडर की ऐवज में केवल ग्रांट ही पास की जाती है और बेसहारा पशु इसी प्रकार लोगों को अपना शिकार बनाते रहते हैं। हांसी परिषद द्वारा करीब 5 महीने पहले ही बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए टेंडर दिया था। परंतु यह टेंडर कुछ दिनों तक ही चल पाया। ठेकेदार के बिमार होने के बाद बेसहारा पुशओं को पकड़ने का अभियान भी बीमार पड़ गया। उसके बाद इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। हालांकि परिषद के अधिकारियों का कहना है कि ठेकेदार का टेंडर रद्द कर दिया गया था और उसे कोई भुगतान भी नहीं किया गया है।