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बैतूल की बेटी अब अमेरिका में मलेरिया वैक्सीन पर करेगी रिसर्च

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बैतूल। जरूरी नहीं है कि प्रतिभावान बनने के लिए बड़े और महंगे स्कूलों में पढ़ाई की जाए। ये भी जरूरी नहीं है कि बड़ा नाम कमाने के लिए शहरों में रहकर तैयारी की जाए। जरूरी है खुद में प्रतिभा को निखारना। यही काम किया है बैतूल के कालगांव की बेटी ने। इस गांव की एक बेटी ने साबित कर दिया कि वो अब अमेरिका में मलेरिया में वैक्सीन टारगेट पर रिसर्च करेगी।इससे पहले डॉ. सोनल काल के आस्टे्रलिया और इंडोनेशिया में रिसर्च पेपर पब्लिश हुए हैं जिसके कारण उनका चयन अमेरिका के लिए संभव हो पाया है।
दुनिया में मलेरिया का कोई वैकसीन न होना और देश में मलेरिया की खौफनाक त्रासदी उसकी रिसर्च का कारण बनी है। दरअसल बैतूल के कोलगांव हायर सेकंडरी स्कूल में प्रिंसिपल दिलीप काले और संस्कृत की शिक्षिका उषा काले की बेटी डॉ. सोनल काले ने 24 मार्च को बोथेसंडा अमेरिया जाएंगी। जहां वे दो साल मलेरिया वैक्सीन टारगेट पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में लेबोरेटरी ऑफ मलेरिया इम्यनोलॉजी एंड वैक्सिनोलॉजी पर दो साल रिसर्च करेंगी। सोनल इसके पहले भी अन्य विषयों पर रिसर्च कर चुकी हैं। वल्र्ड
साइंस सेमीनार आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया में आपने रिसर्च पब्लिकेशन के चलते उनका चयन हुआ है। वर्तमान में सोनल जबलपुर में रिसर्च कर रही थी। वहां से उसका चयन नेशनल इंस्टीट्यट हेल्थ अमेरिका में बेथेस्डा रिसर्च सेंटर के लिए किया गया है। पिता ने बताया कि सोनल की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में हिंदी मीडियम से हुई है। सोनल वापसी के बाद देश में मलेरिया नियंत्रण और उससे होने वाली मौतों पर नियंत्रण के लिए काम करेंगी। सोनल के मुताबिक देश में मलेरिया की मृत्यु दर ज्यादा है और अभी इसका कोई वैक्सीन नहीं है। इसे समस्या को लेकर उन्होंने पीएचडी में इसे अपना विषय चुना था। इसी पर वे आगे भी रिसर्च जारी रखेंगी।

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