उत्तराखंड सरकार ने चारधाम श्रद्धालुओं के लिए 11 भाषाओं में जारी ‎किए ‎दिशा ‎‎निर्देश

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– श्रद्धालुओं को जलवायु अनुकूलन को देखते हुए सात दिन का कार्यक्रम बनाने की सलाह दी गई


देहरादून । उत्तराखंड सरकार ने चारधाम श्रद्धालुओं के लिए हिंदी और अंग्रेजी के अलावा सात और भारतीय भाषाओं में स्वास्थ्य संबंधी दिशा निर्देश जारी किए। स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार ने कहा ‎कि हम हिंदी और अंग्रेजी में पहले ही दिशानिर्देश जारी कर चुके हैं। अब हम सात और भाषाओं में इन्हें जारी कर रहे हैं जिससे विभिन्न प्रदेशों से चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु इन्हें आसानी से समझ सकें और अपनी सुरक्षा के लिए एहतियात बरत सकें। उन्होंने बताया कि हिंदी और अंग्रेजी के अलावा गुजराती, पंजाबी, बांग्ला, मराठी, तेलगू, कन्नड़, उड़िया और तमिल में दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। पिछले साल चारधाम यात्रा के दौरान अनेक श्रद्धालुओं की दिल का दौरा पड़ने तथा अन्य स्वास्थ्य कारणों के चलते मौत हो गई थी और इसी के मद्देनजर राज्य सरकार ने यात्रा शुरू होने से पहले ये दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशा निर्देशों में उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के समुद्रतल से 2700 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण श्रद्धालुओं को जलवायु अनुकूलन के मद्देनजर कम से कम सात दिन का कार्यक्रम बनाने की सलाह दी गयी है। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि तीर्थस्थलों की ऊंचाई अधिक होने के कारण तीर्थयात्री अत्यधिक ठंड, कम आर्द्रता, अत्यधिक अल्ट्रा वायलेट विकिरण, कम हवा का दवाब, कम आक्सीजन की मात्रा से प्रभावित हो सकते हैं इसलिए वे यात्रा से पहले और यात्रा के दौरान पर्याप्त सावधानियां बरतें।
तीर्थयात्रियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी यात्रा की योजना कम से कम सात दिन की बनाएं जिससे उन्हें वातावरण के अनुरूप ढलने के लिए पर्याप्त समय मिले। इसके अलावा, उन्हें यात्रा पर निकलने से पहले रोजाना 5-10 मिनट श्वास व्यायाम करने तथा करीब आधा घंटा टहलने की सलाह भी दी गई है। कोई बीमारी होने या 55 साल से अधिक की उम्र होने की स्थिति में श्रद्धालुओं को यात्रा से पहले स्वास्थ्य जांच कराने की सलाह देते हुए कहा गया है कि चिकित्सक द्वारा अनुमति न देने पर यात्रा पर न आएं। इसके अलावा उन्हें अपने साथ गर्म कपड़े, छाता और बरसाती साथ में रखने तथा यात्रा के दौरान कम से कम दो लीटर तरल पदार्थ पीने और भरपूर पौष्टिक आहार लेने की सलाह भी दी गई है। गढ़वाल क्षेत्र के सभी जिलाधिकारियों को इन दिशानिर्देशों का श्रद्धालुओं के बीच व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा गया है ताकि उनकी यात्रा सुगम और सुरक्षित रूप से संपन्न हो।

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