आचरण में लाए बिना ज्ञान की बातें केवल दंभ है: हरि चैतन्य महाप्रभु
काशीपुर। स्वामी श्री हरि चैतन्यपुरी जी महाराज ने गढ़ीनेगी स्थित श्री हरि कृपा धाम आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि ज्ञान कोई वाणी विलास नहीं है जीवन में सदाचार, संयम एवं भक्ति के आने पर जो ज्ञान स्वतः उत्पन्न होता है वही शाश्वत ज्ञान है। पुस्तकीय ज्ञान ज्यादा नहीं टिकता। ज्ञान अनुभव करें उसे जीवन में उतारें। मात्र दूसरों को उपदेश देने में ही नहीं स्वयं की मुक्ति के लिए उपयोग करें।
उन्होंने कहा कि संसार के सुख क्षणिक है। विषयों के ही क्षणिक सुख को प्राप्त करने के लिए मात्र यह अमूल्य जन्म नष्ट ना करो। चिन्ताएं त्याग कर प्रभु चिंतन करो। सभी में परमात्मा के दर्शन करते हुए व्यवहार करो। जो समस्त संसार को प्रभुमय कहते हैं या देखते हैं। तो वे विरोध किससे करते हैं। वैर-विरोध,घृणा-द्वेष, अशांति इत्यादि त्यागो। कर्म, भक्ति व ज्ञान का जीवन में समन्वय स्थापित करो। ईश्वर व परमात्मा को सदैव याद रखो। सद्गुरु की कृपा से प्राप्त प्रभु नाम जपकर व कल्याणमय मार्ग पर चलने से व्यक्ति अवश्य ही भवसागर से पार उतर सकता है। दृढ़ विश्वास पूर्वक परमात्मा का नाम, जप भव रोगों की अचूक औषधि है। उन्होंने कहा कि माता-पिता, बड़े बुजुर्गों, संतो, महापुरुषों, तीर्थ, धर्म स्थलों व देश की संस्कृति का सम्मान करें। अपने धारा प्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी भक्तों को मंत्र मुग्ध व भावविभोर कर दिया। सारा वातावरण भक्तिमय हो उठा व ‘श्री गुरु महाराज’ ‘कामां के कन्हैया’ व “लाठी वाले भैया की जय’ जयकार से गूंज उठा।