अब हिंसा पीड़ित महिलाओं को नहीं काटने होंगे थानों के चक्कर

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नई दिल्ली । हिंसा पीड़ित महिलाओं को अब थानों और चौकियों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है। महिला एवं बाल कल्याण विभाग हिंसा पीड़ित महिलाओं की मदद और उन्हें बचाने के लिए नई पहल करने जा रहा है। इसके लिए विभाग मिशन शक्ति-3 के अंतर्गत प्रत्येक गांव और वार्ड में समिति का गठन करेगा। समिति के सदस्य महिलाओं के साथ होने वाली हिंसाओं पर नजर रखेंगे, जिसके आधार पर आरोपी के खिलाफ विभाग कार्रवाई कराएगा। अभी तक जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत में बच्चों के अधिकारों का हनन रोकने के लिए बाल संरक्षण समितियों का गठन किया गया है, लेकिन अब महिलाओं के अधिकारों के साथ-साथ उन्हें अपराध से बचाने के लिए महिला कल्याण विभाग ने योजना तैयार कर ली है। महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी विकास चंद्र ने बताया कि महिलाएं आए दिन घरेलू और बाहरी हिंसाओं की शिकार होती रहती हैं। इनमें से कई महिलाएं घर-परिवार की इज्जत की वजह से अपने साथ हुए अपराध की शिकायत नहीं कर पातीं, जिससे उनके साथ बड़ी घटना घटित होने की संभावना बनी रहती है। साथ ही महिलाओं में अपनी सुरक्षा को लेकर डर बना रहता है। इसकी को ध्यान में रखते हुए गांव और शहर में महिला संरक्षण समिति का गठन किया जाएगा। समिति के सदस्य अपने क्षेत्र में गठित होने वाली घटनाओं की जानकारी महिला कल्याण विभाग को देंगे। इसके आधार पर विभाग की रैस्क्यू टीम मौके पर जाकर कार्रवाई करेगी। प्रत्येक महिला संरक्षण समिति में ग्रामीण क्षेत्र में उस गांव के प्रधान और कस्बा व शहरी क्षेत्र में उस वार्ड के पार्षद को शामिल किया जाएगा। इनका काम होगा की वह अपने क्षेत्र में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसाओं पर नजर रखेंगे। कोई भी घटना होने पर या घटना होने की संभावना होने पर उसकी रिपोर्ट महिला कल्याण विभाग को देंगे। वन स्टॉप सेंटर की टीम दोनों पक्षों की काउंसलिंग करेगी। समझौता नहीं होने पर आरोपी पक्ष के खिलाफ संबंधित थाने में मुकदमा दर्ज कराएगी। समिति बनने से हिंसा से पीड़ित महिलाओं को चैकी और थानों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। पीड़ित महिला खुद जाकर समिति के सदस्यों के सामने अपनी समस्या रख सकती हैं। समिति महिलाओं से जुड़ी सभी प्रकार की समस्या सुनेगी। साथ ही कार्रवाई करने के लिए इसकी सूचना विभाग को देगी। जब वहां से समस्या का समाधान नहीं होगा तब ही पुलिस से शिकायत की जाएगी।

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