दृढ़ निश्चयी भक्त की रक्षा स्वयं श्री हरि करते हैं: चैतन्य महाप्रभु
काशीपुर। स्वामी श्री हरि चैतन्यपुरी जी महाराज ने गढ़ीनेगी स्थित श्री हरि कृपा धाम आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि प्रभु को समर्पित, कर्तव्य परायण,दृदृढ़ निश्चायी भक्त की रक्षा स्वयं श्री हरि करते हैं। ऐसे पुण्यआत्मा भक्त का समस्त संसार भी चाहे शत्रु क्यों ना हो जाए परंतु उसका बाल बांका नहीं कर सकता। भक्तराज प्रहलाद के जीवन का उदाहरण देते हुए उन्होंने उसे मानव मात्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया। मिथ्या अहंकार में भूले हुए हिरण्यकश्यप ने स्वयं अपने ही पुत्र प्रहलाद पर कितने निर्मम अत्याचार किये, जिसका अपराध शायद मात्र इतना था कि उसने परमात्मा का नाम लेना नहीं छोड़ा। लेकिन सदैव रक्षा की प्रभु ने व उस अहंकारी हिरण्यकश्यप का नाश भी किया। भक्त का कभी नाश नहीं हो सकता। अपने दिव्य व ओजस्वी प्रवचनों में उन्होंने कहा कि जीता हुआ मन तथा इंद्रियां मित्र तथा अनियंत्रित मन व इंद्रियां सबसे बड़े शत्रु है। संसार को जीतने वाला महावीर नहीं बल्कि मन व इंद्रियों को जीतने वाला महावीर है। मन के हारे हार है व मन के जीते जीत है। सुख व दुख भी मन की अनुभूति के विषय मात्र हैं। मन की अनुकूलता में सुख व प्रतिकूलता में दुख जीव अनुभव करता है। अपने धारा प्रवाह प्रवचनों में उन्होंने सभी को मंत्र मुग्ध व भाव विभोर कर दिया। सारा वातावरण “श्री गुरु महाराज”, “कामां के कन्हैया” व लाठी वाले भैय्या की जय जय कर से गूंज उठा।