-राज्य चुनाव आयोग को शासन द्वारा आरक्षण अधिसूचना उपलब्ध न कराने से नहीं हुआ चुनाव
-जनता व जनप्रतिनिधियों के लोेकतांत्रिक अधिकारों का हो रहा है हनन
काशीपुर। उत्तराखंड के पुराने आठों नगर निगमों के पार्षदों का कार्यकाल उप महापौर चुने जाने का इंतजार करते-करते समाप्त हो गया। राज्य चुनाव आयोग को शासन द्वारा आरक्षण सम्बन्धी अधिसूचना उपलब्ध न कराने से उपमहापौर का चुनाव नहीं हो सका।
यह बड़ा खुलासा सूचना अधिकार के तहत नदीम उद्दीन को राज्य निर्वाचन आयोग उत्तराखंड द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ। नदीम उद्दीन ने राज्य निर्वाचन आयोेग के लोक सूचना अधिकारी से नगर निगमों के उप महापौैर/डिप्टी मेयर के चुनाव सम्बन्धी सूचना मांगी थी इसके उत्तर में राज्य निर्वाचन आयोेग के लोक सूचना अधिकारी/सहायक आयुक्त राजकुमार वर्मा द्वारा अपने पत्रांक 804 से सूचना उपलब्ध करायी है। इससे पूर्व पत्रांक 4302 से 2020 तक की सूचना उपलब्ध करायी गयी है। नदीम उद्दीन ने बताया कि नगर निगम अधिनियम की धारा 10 केे अनुसार नगर निगम में एक उपमहापौैर का प्रावधान हैै जिसे महापौैर की स्थायी व अस्थायी अनुपस्थिति में उसके कार्यों को करने का अधिकार होता हैै। इसके अतिरिक्त धारा 54 के अनुसार वह नगर निगम की विकास समिति का पदेन सभापति होता है। उप महापौैर को पार्षदों द्वारा पार्षदों में से चुना जाता है औैर इसके चुनाव पर आरक्षण नियम लागू होते हैं। उप महापौैर का कार्यकाल ढाई वर्ष या पार्षद के रूप में उसके कार्यकाल, जो भी पहले हो तक होेता है। इस प्रकार एक महापौैर/निगम के कार्यालय में दो बार उपमहापौैर का चुनाव होना चाहिये।