आजम खां का किला आखिरकार ढह गया और मुलायम सिंह का किला डिंपल यादव ने बचा लिया

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चाचा-भतीजे हुए एक

लखनऊ। प्रदेश में दो विधानसभा सीटों और एक लोकसभा क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव के परिणाम साफ हो गए । इस उपचुनाव में मुलायम सिंह याादव की सीट मैनपुरी और आजम खां की सीट रामपुर पर सबकी निगाहें टिकी थी Iआजम खां का किला आखिरकार ढह गया और मुलायम सिंह का किला डिंपल यादव ने बचा लिया है। परिवार की इस सीट पर भाजपा से मुकाबले के दौरान चाचा-भतीजे कामन मोटा भी दूर हो गया । और नतीजा आने से पहले ही शिवपाल और अखिलेश यादव एक हो गए। शिवपाल यादव ने अखिलेश की पहल पर प्रसपा के सपा में विलय का ऐलान कर दिया।

आजम के विपक्षी नेता हो गए थे भाजपा के साथ

रामपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने सपा के आसिम राजा को पराजित करके एक इतिहास रच दिया | चक्रवार मतगणना के नतीजों में आकाश सक्सेना ने करीब 35702 वोट से जीत हासिल की है। मतगेणना के 19 वें चक्र से भाजपा प्रत्याशी ने बढ़त बनानी शुरू की जो 33 वें चक्र तक कायम रही। याद रहे कि रामपुर विधानसभा सीट पर सपाा नेता आजम खां का कब्जा रहा है। वह लगभग दस वार इस सीट से चुनाव जीते हैं। अल्पसंख्यक बाहुल्य सीट पर गैर मुस्लिम आकाश सक्सेना और भाजपा की पहली जीत है। दरअसल, भाजपा ने आजम को घेरने के लिए आजम के करीबी कई मुस्लिम नेताओं को पार्टी में शामिल कराया गया था। आजम विरोधी कांग्रेस नेता नवाब काजिम उर्फ नवेद मियां को भाजपा प्रत्याशी का समर्थन करने पर निष्कासित भी कर दिया गया था।

शिवपाल की प्रसपा का सपा में विलय

मुलायम सिंह यादव का गढ़ मैनपुरी सीट पर सपा की डिंपल यादव ने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की है। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी रघुराज शाक्य को पराजित किया है। मुलायम सिंह के निधन से रिक्त इस सीट पर उपचुनाव जीतना सपा के लिए चुनौती था। परिवार में मंथन के बाद शिवपाल सिंह यादव ने डिंपल यादव को चुनाव लड़ाने का फैसला लिया जिसके बाद सीट के समीकरण बदलने लगे थे। डिंपल की दो लाख से अधिक वोटों से जीत ने सपा को सियासी ताकत मिली है। डिंपल के चुनाव जीत की तरफ बढ़ते ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह के पैर छुए और पार्टीे का ­ध्वज भेंट किया। शिवपाल ने भी तत्काल प्रसपा के सपा में विलय होने की घोषणा कर दी है। माना जा रहा है कि शिवपाल सिंह यादव को अब संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। निकाय चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव 2024 पर भी चाचा-भतीजे की जोड़ी का प्रभाव दिख सकता है।

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