11 जनवरी को धरती के काफी पास से गुजरेगा 104 मीटर लंबा छुद्रग्रह

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वॉशिंगटन । एक खतरनाक छुद्रग्रह तेजी से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसकी लंबाई की तुलना लंदन के प्रसिद्ध क्लॉक टॉवर बिग बेन से की है। नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि 013 वाईडी 48 नाम का यह छुद्रग्रह 11 जनवरी को धरती के काफी पास से गुजरेगा। दुनियाभर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की नजर इस छुद्रग्रह के चाल पर बनी हुई है।
नासा के के एस्टरॉइड वॉच डैशबोर्ड के अनुसार, 2013 वाईडी 48 नाम का खगोलीय पिंड लगभग 104 मीटर लंबा है। इसके पृथ्वी के सबसे नजदीक पहुंचने से पहले तीन अन्य छुद्रग्रह धरती के करीब से गुजरेंगे। इन तीनों छुद्रग्रहों के आकार 3 से 12 मीटर के आसपास बताए जाते हैं। आकार में छोटे होने के बावजूद ये आकाशीय पिंड धरती पर भारी तबाही मचाने में सक्षम हैं।
2013 में रूस के चेल्याबिंस्क क्षेत्र में 17 मीटर लंबा एक उल्कापिंड गिरा था। इस उल्कापिंड की ताकत इतनी ज्यादा थी कि इससे इलाके के 7000 से अधिक घरों को नुकसान पहुंचा था। इस उल्कापिंड के धरती से टकराने के कारण 33 मिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ था। वह भी ऐसे इलाके में जहां जनसंख्या का घनत्व भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान की तुलना मे काफी मामूली है। नासा ने इस सभी छुद्रग्रहों को नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स की सूची में रखा है। नासा ने 20वीं सदी के अंत में नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट प्रोग्राम लॉन्च किया था।
इस प्रोग्राम का उद्देश्य ऐसे आकाशीय पिंडों की खोज करना था, जो हमारी पृथ्वी की कक्षा के नजदीक आ सकते हैं। नासा ने अबतक 20000 से अधिक ऐसे आकाशीय पिंडों की खोज की है, जिसे नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट की सूची में शामिल किया गया है।
ज्ञात हो कि एस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं, जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं, लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर एस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में मौजूद एस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं।
करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए। यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। कोई भी दो ऐस्टरॉइड एक जैसे नहीं होते हैं। अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। नासा का सेंट्री सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे एस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है।

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