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अजूबा कहे या एक बेटी का अपने पिता के लिए प्रेम

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बेटी ने रखा पिता की लबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत

कोटद्वार । अजूबा कहे या एक बेटी के लिए अपने पिता के लिए प्रेम जो अपनी माँ को भी नही जानती । उसने अपने आस पड़ोस में रह रही महिलाओं को देख पूछा कि आप क्या कर रही हो। तो उन महिलाओं द्वारा उस बच्ची को बताता गया कि मेरे व्रत रखने का कारण ये है कि मेरे पति की उम्र मुझसे भी ज्यादा रहे ।

इस पर उस बेटी ( बालिका ) ने पूछा कैसे उम्र ज्यादा रहे।तब महिलाओं ने उस बालिका को समझाया कि ये वृत लम्बी उम्र के लिए रखा जाता है। उन बातों को चंचल सुभाव व अपने पिता के प्रति प्रेम के चलते व्रत रख लिया।
इसी बीच उस चंचल सुभाव की बालिका ने न तो कोई रोजमर्रा की तरह चिप्स खाया और नाही कोई अलग से कोई खाने की गुजारिश की। रात को सभी महिलाओं के भांति अपने पिता को चाँद देख कर भोजन किया।
उस लड़की से हुई बबात में उस नन्ही बच्ची ने कहा कि मेरी मम्मी नही है। और आज तक मेरे छोटे से लेकर बढ़े होने तक मुझे बड़ा करने में जितना मेरे पापा ओर मेरी दादी ने किया है वो मेरी माँ भी नही कर सकती थी।
इस लिए मेने ये करवाचौथ का व्रत और मेहंदी अपनी दादी ओर अपने पापा के लिए लगाई है।
क्यों कि मेरे पापा ओर मेरी दादी की उम्र मुझसे भी ज्यादा हो

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