काशीपुर । लूट के अलग-अलग मुकदमों की सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्टे्ट् ने आरोपी को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। इनमें से एक मुकदमें में शामिल दो आरोपियों की इलाज के दौरान ही मौत हो गई। दढ़ियाल रोड पर मडैया तिराहे के पास एसएसडीएन पेट्रोल पम्प में कार्यरत मैनेजर दिग्विजय सिंह ने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 24 अप्रैल, 2012 को अपने साथ हुई 1.60 लाख लूट का मुकदमा दर्ज कराया था। बांसफोड़ान चौकी पुलिस ने ग्राम मंुडिया, भोट रामपुर निवासी मौ. शरीफ व राजेन्द्र और ग्राम फसियापुरा निवासी वीर सिंह उर्फ पंडित को गिरफ्तार किया था। एक आरोपी शरीफ ने बताया कि 15 अप्रैल 2012 की रात उसने पंत पार्क वाली गली में शिल्पी अग्रवाल से 60 हजार रूपये के जेवर और 17 हजार रूपये नकद लूटे। दोनों मामलों में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में अलग-अलग अभियोग पत्र दायर किया। दोनों मुकदमें करीब नौ साल तक चले। सुनवाई के दौरान दिग्विजय सिंह से लूट करने के दो आरोपियों राजेन्द्र ओर वीर सिंह उर्फ पंडित की मौत हो गई। अदालत ने दोनों के खिलाफ चल रही सुनवाई उपशमित कर दी। शेष बचे एक आरोपी मौ. शरीफ के खिलाफ दोनों पत्रावलियों में सुनवाई हुई। बचाव पक्ष की ओर से पैरवी शैलेद्र मिश्रा एडवोकेट ने की। संबंधित पक्षों को सुनने और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का परीशीलन कर न्यायिक मजिस्टे्ट् रमेश चन्द्र ने लूट के दोनों मुकदमों में आरोपी मौ. शरीफ को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया।