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हिंदी से पढ़ाई करने वाली झुंझुनूं की स्वाती बनी डब्ल्युटीओ में अफसर

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-सपना था कि दुनिया के टॉप संस्थानों के साथ काम करूंरू स्वाती शर्मा
झुंझुनूं। इरादे बुलंद हों तो मुश्किलें खुद-ब-खुद छोटी होने लगती हैं। यह साबित किया है झुंझुनूं के गांव में हिन्दी मीडियम में शुरुआती पढ़ाई करने वाली स्वाती शर्मा ने। अब स्वाति का स्विट्जरलैंड के जिनेवा में डब्ल्यूटीओ में लीगल ऑफिसर के पद पर सेलेक्शन हुआ है। स्वाति शर्मा की स्कूली शिक्षा भी गांव में हुई है। इस मुकाम तक पहुंचने में स्वाति को कई चुनौतियों के सामना करना पड़ा, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। स्वाति के पिता सूरजगढ़ पंचायत समिति में जूनियर इंजीनियर हैं। प्रारंभिक पढ़ाई के बाद सूरजगढ़ की टैगोर स्कूल और चिड़ावा के डालमिया स्कूल में स्वाती ने पढ़ाई की। लॉ की पढ़ाई के लिए देहरादून गई। स्वाती शर्मा का कहना है कि देहरादून में लॉ की पढ़ाई के लिए एडमिशन हुआ तो बहुत खुश हुई, लगा किसी मुकाम की ओर बढ़ रही हूं। सेकेंड इयर में थी, तब इंटरनेशनल लॉ में पोस्ट ग्रेजुएट करने की सोच ली थी। इसे पूरा भी किया। सपना था कि दुनिया के टॉप संस्थानों के साथ काम करूं।
   झुंझुनूं के छोटे से गांव काजड़ा की स्वाती ने बताया, ‘मन में कुछ ठान लें और उसके लिए मेहनत करें तो कोई भी मुकाम पाया जा सकता है। इस सफर को तय करने में कई परेशानियां थीं। स्कूली पढ़ाई में औसत थी, हमेशा टॉपर नहीं रही। लेकिन कुछ बड़ा करने का जज्बा हमेशा से मन में था। निरंतर आगे बढ़ाने की लगन थी। लगातार पढ़ाई से मैं कभी थकी नहीं और नया कुछ सीखना ही मेरा उद्देश्य होता था। स्वाति के मुताबिक उसके परिवार में किसी ने लॉ की पढ़ाई नहीं की थी। लेकिन उसने चैंलेजिंग सब्जेक्ट चुना। कॉलेज में लॉ करने वाले अधिकतर स्टूडेंट का बैक ग्राउंड लॉ से ही था। किसी के पिता जज थे, किसी के नामी वकील। उन्हें पूरी गाइडेंस भी मिल रही थी। सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि मैं हिन्दी मीडियम से पढ़ी थी। लॉ की पूरी पढ़ाई इंग्लिश मीडियम में थी। स्वाति की जुलाई 2020 में लॉ की पढ़ाई पूरी हो गई। अपने सपने पूरे करने के लिए दुनिया के टॉप लॉ इंस्टिट्यूट में रिसर्च के लिए ट्राई शुरू किया। इस बीच वोरिक यूनिवर्सिटी यूके की प्रोफेसर डॉ। रीना पटेल से मुलाकात हुई। इनकी गाइडेंस में लंदन में इंटरनेशनल लॉ में रिसर्च करना शुरू किया। स्वाति का कहना है कि वर्ल्ड ट्रेड इंस्टिट्यूट स्विट्जरलैंड के डायरेक्टर पीटर वॉनडेन बॉस से मुलाकात हुई जिन्होंने मेरे रिसर्च और काम को सराहा व मौका दिया। बेल्जियम में छह माह की ट्रेनिंग के बाद ड्ब्लूटीओ में लीगल अफसर पद के लिए जॉब ऑफर हुई।

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