काशीपुर। मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वाधान में शिवनगर-कालोनी मेँ आयोजित साप्ताहिक सदभावना-सत्संग कार्यक्रम में साध्वी स्नेहा बाई ने कहा कि सावन का पावन महीना शिव-साधना एवं शिव-भक्ति के लिए अति उत्तम समय माना जाता है। महात्मा धर्मदासानंद ने कहा कि हम लोग बाहरमुखी भक्ति को शिव-भक्ति मान लेते हैं, जबकि भगवान शंकर ने कैलाश पर्वत पर एकान्त में, अन्तर्मुखी होकर, ध्यान करते थे। भगवान शंकर की साधना को ही शंकर-भजन कहा जाता है। साध्वी मधुलता बाई ने कहा कि भगवान की पूजा-पाठ बाहर मन्दिरों मंे बैठकर करने का विधान है।वास्तव मेँ भगवान की भक्ति तो भगवान शिव शँकर की भाँति अपने मन-मन्दिर मेँ ही होती है। कार्यक्रम में पीके शर्मा, करन सिंह, मदन सिंह, डॉ. राजकुमार, होरी लाल, दलपत सिंह, उत्तम पात्र, डॉ. मलखान सिंह, बृजेश गुप्ता, मदन सिंह, शोभा शर्मा, लक्ष्मी देवी, माया देवी, बिनीता पात्र, रेनू शर्मा, जयवती, राम हरिदेवी आदि शामिल थे।