समलैंगिकता के विरोध में विभिन्न संगठनों ने भेजे राष्ट्रपति को ज्ञापन

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काशीपुर। उपजिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह के कार्यालय में आज समलैगिकता पर विरोध जताते हुए आधा दर्जन सामाजिक संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम अलग-अलग ज्ञापन सौंपे और इसका जबर्दस्त विरोध किया।
सर्वाेच्च न्यायालय ने समलैंगिक एवं विपरीत लिंगी आदि व्यक्तियों के विवाह के अधिकार को विधि मान्यता देने का निर्णय लेने के लिए ससंद को कानून बनाने को कहा है। हालांकि सरकार ने समलैंगिकता का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय पर यहां सामाजिक संगठनों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। काशीपुर डेवलपमेंट फोरम, देवभूमि पर्वतीय महासभा, ब्राह्मण सभा समिति, यादव समाज, पंजाबी महासभा, कुमायूं वैश्य समाज समेत तमाम सामाजिक संगठनों ने इसके विरोध में उपजिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह को ज्ञापन सौंपा है। पूर्व में धर्मयात्रा महासंघ ने भी इस मामले को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा था। आज दिये ज्ञापनों में कहा गया है कि भारत में पूर्व से ही जैविक पुरुष एव जैविक महिला के मध्य ही शादी को मान्यता दी गई है। सभी धर्माे में केवल विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के विवाह का उल्लेख है और इस तरह के विवाह से समाज में मानव जाति की उन्नति भी है। समलैंगिक के विवाह से समाज में गलत धारणा पैदा होगी। विभिन्न संगठनों के ज्ञापन देने वालों में राजीव घई, सुरेंद्र सिंह जीना, चंद्रभूषण डोभाल, गुरविंदर सिंह चंडोक, पीयूष गौर, सुभाष चन्द्र शर्मा, मनोज पंत, उमेश जोशी एडवोकेट, अमिताभ सक्सेना, दीपक कांडपाल एडवोकेट, अजय अग्रवाल, इंद्र सिंह राणा, महेश चंद्र शर्मा, चक्रेश जैन, मनीष सपरा, चेतन अरोरा, आर एस नेगी, लाल सिंह नेगी, प्रवीण सेठी समेत सैकड़ों शामिल थे।

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