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संत व गुरु हमारी संपत्ति नहीं संतति चाहते हैं: श्रीहरि चैतन्य महाप्रभु

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काशीपुर। स्वामी श्री हरि चैतन्यपुरी जी महाराज ने यहाँ वैशाली कालोनी में उपस्थित भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारी, हमारे परिवार, देश, समाज की जो दुर्दशा हो रही है। विभिन्न प्रयास करने के बावजूद जिससे हम उबर नहीं पा रहे हैं, प्रयास करने के साथ-साथ प्रभु से उनकी कृपा याचना से परिपूर्ण भाव सहित प्रार्थनाएँ अवश्य करनी चाहिए। परमात्मा हमारी वस्तुओं, पदार्थों, मान सम्मान इत्यादि का नहीं वह तो हमारी प्रेम व भावनाओं का भूखा है। प्रेम रहित दुर्याेधन के अतिथ्य को त्याग कर विदुर की कुटिया में रुख़ा साग व केले के छिलके भी प्रेम सहित स्वीकार करता है। भिलनी के खट्टे मीठे झूठे बेर में उसे जो स्वाद आता है ऐसा तो अयोध्या व जनकपुर के विभिन्न व्यंजनों में भी नहीं आता। हमें परमात्मा के प्रति विश्वास ही नहीं बल्कि दृढ़ विश्वास होना चाहिए। ईश्वर के प्रति मन में यदि संशय आ जाता है, तो उसके प्रति होने वाली भक्ति स्वतः ही नष्ट हो जाती है तथा ईश्वर के प्रति प्रेम भी नष्ट हो जाता है। ऐसा तब होता है जब निज हित में चिंतन किया जाता है। प्यार की ना तो कोई परिभाषा होती है और न ही प्यार को किसी बंधन में बाधा जा सकता है। स्वार्थ के रहते आसक्ति को प्यार नहीं कहा जा सकता है। महाराज श्री ने कहा कि मात्र मानव शरीर पाकर ही हम सच्चे अर्थों में मानव या इंसान कहलाने का अधिकारी नहीं बन जाते हैं, स्वयं को सुसंस्कारित करके समाज के लिए उपयोगी बनाएँ। काशीपुर में अन्य अनेक स्थानों पर भी महाराज जी का भक्तों ने भव्य स्वागत किया। इस दौरान सुन्दर काण्ड पाठ का भी आयोजन किया गया। श्री महाराज जी का अग्रिम पावन जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। श्री महाराज जी मोटेश्वर  महादेव भी पधारे जहां भक्तों ने उनका भव्य स्वागत किया व श्री महाराज जी ने मोटेश्वर महादेव का पूजन भी किया।

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