मेरठ । मेरठ में इस बार रक्षाबंधन पर बहने जेल में बंद अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी। राज्य सरकार ने राखी के पहले जेल में बंद कैदियों से मुलाकात करने की अनुमति दे दी है। यह इजाजत मिलने से कैदी और उनके परिजन काफी खुश हैं। वहीं, कैदियों की बहने शासन के इस फैसले के लिए सरकार का धन्यवाद कर रही हैं। दरअसल, पिछले वर्ष कोरोना की वजह से जेल में कैदियों से मिलने की इजाजत नहीं दी गई थी। इस कारण जेल में बंद कैदी अपने परिजनों से नहीं मिल पा रहे थे। साथ ही पिछले रक्षाबंधन पर उनकी कलाई सूनी रह गई थी।
इसकी पुष्टि करते हुए मेरठ जिला कारागार के जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का जेल परिसर में अक्षरशरू पालन किया जा रहा है। इधर जेल में आज सोमवार से कैदियों से मुलाकात का सिलसिला शुरू हो गया। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते परिजन जेल में कैदी मुलाकात कर पा रहे हैं। परिवार से मिल रहे जिला कारागार के बंदी भी बेहद खुश हैं कि तकरीबन डेढ़ साल बाद वे अपने प्रियजनों का चेहरा देख पा रहे हैं। जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि इससे कैदियों में अवसाद भी कम होगा। अब शासन ने आदेश जारी कर बंदियों से मिलने के लिए सशर्त अनुमति प्रदान कर दी है। कैदी से मिलने के लिए परिजनों को 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर रिपोर्ट, फेस मास्क के साथ एक बंदी से दो स्वजनों की मुलाकात की अनुमति प्रदान की गई है। नियमों के मुताबिक, मुलाकात से पहले स्वजन को कोरोना संक्रमण की जांच करानी होगी।
शासनादेश के अनुसार एक बंदी से केवल दो स्वजनों को मिलने की इजाजत सप्ताह में एक बार प्रदान की जाएगी। वहीं जो मिलने आएगा, उन्हें 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर रिपोर्ट लाने के साथ ही फेस मास्क अनिवार्य कर दिया गया है। मिलने से पहले और बाद में बंदी को सैनिटाइज करने के बाद ही बैरक में प्रवेश करने संबंधी निर्देश दिया गया है। मेरठ जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि शासन ने जो आदेश दिए हैं, उनका सख्ती के साथ अनुपालन किया जाएगा। बता दें कि कोरोना महामारी के चलते कारागार में बंदियों से मिलने की छूट खत्म कर दी गई थी। परिजनों से मिल न पाने से बंदी भी मानसिक रूप से परेशान हो रहे थे। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी छोड़े गए बंदियों की पैरोल बढ़ा दी थी। लेकिन अब शासन ने बंदियों से मिलने को लेकर सशर्त आदेश जारी कर दिया। जेलर मृत्युंजय पांड़े ने बताया कि 19 मार्च 2020 से कोरोना महामारी के कारण जेल में बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। करीब डेढ़ साल बाद शासन ने बंदियों को उनके स्वजनों से मिलने की इजाजत प्रदान कर दी है।