यूपी की तर्ज पर 1.5 प्रतिशत हो मण्डी शुल्क: अशोक बंसल

काशीपुर। केजीसीसीआई ने मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार को एक पत्र प्रेषित कर राज्य के कृषि आधारित उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए मण्डी शुल्क एवं विकास उपकर की दरों में संशोधन की माँग की है।
चैम्बर के अध्यक्ष अशोक बंसल ने बताया कि उत्तराखण्ड में मण्डी शुल्क एवं विकास उपकर की दरें उत्तर प्रदेश की तुलना में अधिक हैं, जिससे राज्य के राइस मिल, फ्लोर मिल, फ्रोजन फूड, मसाला प्रसंस्करण एवं प्लाईवुड जैसे उद्योगों की लागत बढ़ जाती है और वे प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मण्डी शुल्क घटाकर 1.5 प्रतिशत किए जाने एवं नए कृषि आधारित उद्योगों को छूट देने से वहाँ निवेश आकर्षित हो रहा है, जबकि उत्तराखण्ड के उद्योग पिछड़ रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि राज्य की मण्डी समितियों द्वारा बाहर से लाए गए कच्चे माल ;द्वितीय आवकद्ध पर मण्डी शुल्क / विकास उपकर की वसूली की जा रही है, जो उच्चतम न्यायालय के आदेश एवं संविधान के प्रावधानों के विपरीत है। उन्होंने मांग की है कि मण्डी शुल्क एवं विकास उपकर की कुल दर अधिकतम 1.5 प्रतिशत निर्धारित की जाए, नए कृषि आधारित उद्योगों को कम-से-कम 10 वर्षों के लिए मण्डी शुल्क / विकास उपकर से पूर्णतः मुक्त रखा जाए, किसानों से सीधी खरीद करने वाली मैन्युफैक्चरिंग / प्रसंस्करण इकाईयों को मण्डी शुल्क / विकास उपकर से पूर्णतः छूट दी जाए, द्वितीय आवक ;बाहर से लाए गए कच्चे मालद्ध पर मण्डी शुल्क / विकास उपकर की वसूली तत्काल बंद की जाए।