मेडिटेशन मन को एकाग्र करने की कला है: ब्रह्माकुमारी पूनम

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मेडिटेशन मन को एकाग्र करने की कला है: ब्रह्माकुमारी पूनम
काशीपुर। जब हम देह के भान में रहते हैं तो बीमारियां होती है, संबंधों का दुःख भी हमें अनुभव होता है लेकिन जब अपने को आत्मा समझते हैं तो हीलिंग पावर हमारे शरीर में जाती है और हम स्वस्थ होने लगते हैं। संबंधों के दुखों से भी न्यारे हो जाते हैं।  यह बातें इंदौर से पधारी प्रख्यात तनाव मुक्ति विशेषज्ञा ब्रह्माकुमारी पूनम बहन जी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय काशीपुर के तत्वाधान में रामलीला मैदान में आयोजित 9 दिवसीय निशुल्क अलविदा तनाव शिविर के अंतिम दिन के सत्र परमात्मा के महा वाक्य मुरली सुनाते हुए कही।
उन्होंने बताया कि यह महावाक्य स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा के तन में अवतरित होकर उच्चरित किए हैं। मुरली नए-नए सकारात्मक एवं शक्तिशाली विचारों का भंडार है। इस ज्ञान को जीवन में उतारकर हम अपना चरित्र उच्च बना सकते हैं जिससे भारत विश्व गुरु बन जाएगा। अलविदा तनाव शिविर के अंतिम दिन इस कार्यक्रम की मुख्य प्रेरणा स्रोत व काशीपुर सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी चंद्रावती बहन जी जो विगत 50 वर्षों से ईश्वरीय सेवा में समर्पित रहकर करीब 30 वर्षों से काशीपुर में अपनी सेवाएं दे रही है, ने कहा कि 23 मई से आज तक पूरे 9 दिन तक इस शिविर में सुनने व अभ्यास करने से सभी के चेहरे चमक रहे हैं। कल से 15 दिन का शिविर के आगे का निशुल्क एडवांस कोर्स काशीपुर के आवास विकास स्थित सेवाकेंद्र में ब्रह्मकुमारी बहनों द्वारा कराया जाएगा।

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