मुख्य सचिव ने राज्य में नमामि गंगे कार्यक्रम की प्रगति की जानकारी दी

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मुख्य सचिव ने राज्य में नमामि गंगे कार्यक्रम की प्रगति की जानकारी दी

मुख्य सचिव ने राज्य में नमामि गंगे कार्यक्रम की प्रगति की जानकारी दी
मुख्य सचिव ने राज्य में नमामि गंगे कार्यक्रम की प्रगति की जानकारी दी

देहरादून। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने नमामि गंगे कार्यक्रम की इपावर्ड टास्क फोर्स की 12वीं बैठक में जानकारी दी कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत 244.48 एमएलडी क्षमता सृजित करने के लिए 62 (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) एसटीपी की स्थापना हेतु सीवरेज अवसंरचना की कुल 43 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 165.06 एमएलडी क्षमता वाले 42 एसटीपी स्थापित करके 36 परियोजनाएं पूर्ण कर ली गई हैं तथा 79.42 एमएलडी क्षमता वाले 20 एसटीपी की स्थापना हेतु शेष 07 परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। एनएमसीजी एवं सीपीसीबी द्वारा किए गए मूल्यांकन के अनुसार 170 नालों की पहचान की गई है, जिनमें से 137 नालों को रोका जा चुका है, 33 नालों को रोकने के लिए विभिन्न परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अलावा उधम सिंह नगर में कल्याणी नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए 40 एमएलडी एसटीपी के लिए डीपीआर और हल्द्वानी काठगोदाम क्षेत्र में गौला नदी में गिरने वाले प्रमुख नालों को रोकने और मोड़ने के लिए परियोजनाएं तैयार की गई हैं और मंजूरी के लिए एनएमसीजी को भेजी गई हैं। केएफडब्ल्यू द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के तहत हरिद्वार और ऋषिकेश शहरों में 541 किलोमीटर लंबे सीवर नेटवर्क में गंगा नदी में गिरने वाले सीवेज के 100 प्रतिशत उपचार का प्रस्ताव है। 79 स्थानों पर सतही जल की मासिक आधार पर नियमित निगरानी की जा रही है। यूकेपीसीबी ने त्रिवाणी घाट ऋषिकेश, कौड़ियाला बद्रीनाथ मार्ग टिहरी गढ़वाल और देवप्रयाग टिहरी गढ़वाल में डिस्प्ले बोर्ड लगाए हैं। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन निगरानी प्रणाली से लैस 22 एसटीपी चालू हैं और गंगा तरंग वेब पोर्टल से जुड़े हैं। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) और उत्तराखंड पेयजल निगमध्उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा इनलेट और आउटलेट अपशिष्ट जल की गुणवत्ता की मासिक निगरानी की जाती है, ताकि जल गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके, जिसमें फेकल कोलीफॉर्म परीक्षण भी शामिल है। नियमित निगरानी के परिणामस्वरूप गंगोत्री से ऋषिकेश तक पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, जहाँ यह वर्ग-ए मानकों (पीने के लिए उपयुक्त) को पूरा करता है। ऋषिकेश से हरिद्वार तक पानी की गुणवत्ता वर्ग-बी (बाहर नहाने के लिए उपयुक्त) के अंतर्गत आती है और इसे बेहतर बनाने का काम प्रगति पर है।

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