मिर्जापुर। जनपद मिर्जापुर की ऐतिहासिक इमारत घंटाघर में अब म्युजियम भी दिखेगा। गुलाबी पत्थरों पर महीन नक्काशी से बना यह घंटाघर दुर्लभ नक्काशी के साथ ही रोमन स्थापत्य कला के लिए भी काफी मशहूर है। इसे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाम से जाना जाएगा, जिनका चेतगंज में ससुराल और गणेशगंज में ननिहाल है। घंटाघर 1891 में बनकर तैयार हुआ। उस समय इसके निर्माण में हुए व्यय का उल्लेख घंटाघर में लगे पाषाण-पट्ट पर हुआ है।
इसमें व्यापारियों व अधिकारियों के अलावा काशी व विजयपुर के राजा ने सहयोग प्रदान किया था। घंटाघर के निर्माण में पत्थरों पर महीन नक्काशी के साथ ही भारत की समृद्धि शिल्पकला की याद दिलाती है। घंटाघर की मीनार पर लगी घड़ी को 1866 में लंदन के मेसर्स मियर्स स्टेंन बैंक कंपनी ने बनाया है। जो गुरुत्वाकर्षण बल से चलती थी। किसी भी प्रकार के स्प्रिंग का इस्तेमाल इसमें नहीं हुआ है। घड़ी अभी खराब अवस्था में पड़ी है। वहीं, मीनार पर लगे घंटे का वजन 300 किलो है।
बीते जुलाई माह में केंद्र सरकार के पर्यटन एवं सांस्कृतिक राज्य मंत्री से मुलाकात कर नगर पालिका अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने घंटाघर को म्यूजियम बनाने की मांग रखी थी। पहले नगर पालिका का ऑफिस घंटाघर में ही स्थित था। 2 वर्ष पूर्व इसको लालडिग्गी एरिया में शिफ्ट कर दिया गया। अब पुरातत्व विभाग ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर राजस्व अभिलेख उपलब्ध कराने को कहा है। इससे ऐतिहासिक घंटाघर को म्यूजियम बनने की उम्मीद जागृत हो गई है।