लखनऊ । यूपी से एक संघर्षशील मुस्लिम युवती की मिसाल देने वाली प्रेरक कहानी सामने आई है। लखनऊ यूनिवर्सिटी में एक मुस्लिम छात्रा गजाला को बेस्ट संस्कृत स्टूडेंड के 5 गोल्ड मेडल मिले हैं। लेकिन निशातगंज में एक कमरे के मकान में रहने वाली गजाला के लिए ये सफर आसान नहीं रहा। उनके
पिता एक दिहाड़ी मजदूर थे और कैंसर से उनका निधन हो गया। इसके बाद गजाला के दो भाइयों ने उनकी पढ़ाई के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी और एक गैराज में काम करना शुरू कर दिया। उनकी एक बहन ने भी बर्तनों का दुकान में नौकरी कर ली।
उनकी मां ने गजाला की हर जरूरत का ख्याल रखा और उनको पढ़ाई के लिए लगातार हौसला दिया। गजाला को लखनऊ यूनिवर्सिटी के बेस्ट संस्कृत स्टूडेंट के लिए
5 गोल्ड मेडल मिलने के बाद पूरे परिवार के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई है।
गजाला का नाम लखनऊ यूनिवर्सिटी के एमए (संस्कृत) की बेस्ट स्टूडेंट के लिए नवंबर में हुए दीक्षांत समारोह के दौरान ही घोषित किया गया था। कोविड-19 के कारण उस समय केवल कुछ ही छात्रों को मेडल दिए गए। अब गुरुवार को फैकल्टी स्तर पर एक मेडल वितरण समारोह में गजाला को उनके मेडल दिए गए।
गजाला यूनिवर्सिटी के सांस्कृतिक समारोहों में संस्कृत के श्लोक सुनाने के लिए भी मशहूर हैं। एक प्रोफेसर के तौर पर गजाला पूरी दुनिया में शांति, एकता और सेकुलरिज्म का संदेश फैलाना चाहती हैं।
गजाला जब 10वीं कक्षा की पढ़ाई कर रहीं थीं तभी उनके पिता का कैंसर से निधन हुआ था। अब वे एक पोस्ट ग्रेजुएट हैं और हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, अरबी और संस्कृत भाषाएं जानती हैं। गजाला का कहना है कि ये मेडल उन्होंने केवल अकेले हासिल नहीं किए हैं। इनमें उनके भाइयों शादाब और नायाब का भी
योगदान है जिन्होंने कम उम्र में ही पढ़ाई छोड़कर काम करना शुरू किया।
जिससे उनकी पढ़ाई का खर्च निकल सके। घर का खर्च चलाने के लिए उनकी बहन यास्मीन भी बर्तन की दुकान पर काम करती है। जबकि उनकी मां नसीर बानो उनकी हर जरूरत का ख्याल रखती हैं। गजाला ने कहा कि ये 5 मेडल हम पांचों के लिए हैं। संस्कृत में गजाला की रुचि प्राइमरी स्कूल में जगी, जब उनकी टीचर मीना मैम ने उनको कक्षा 5 में संस्कृत पढ़ाई। इसके बाद आर्य कन्या इंटर कॉलेज में एक संस्कृत टीचर अर्चना द्विदी ने उनको संस्कृत पढ़ाई। करामत हुसैन मुस्लिम गर्ल्स पीजी कॉलेज में नगमा सुल्तान ने उनको संस्कृत पढ़ाई
और लखनऊ यूनिवर्सिटी में प्रयाग नारायण मिश्रा ने उनको संस्कृत की शिक्षा दी। गजाला अब वैदिक साहित्य से पीएचडी भी करना चाहती हैं।