लखनऊ। सीमा पर दुश्मन से अपनी जमीन खाली कराने वाले सैन्य अफसर अपने ही घर में मात खा गए। बेटे-बहू ने उस घर से बाहर जाने को मजबूर किया जो ब्रिगेडियर ने अपनी मेहनत की कमाई से बनवाया था। लम्बे संघर्ष के बाद लखनऊ के गोमती नगर निवासी ब्रिगेडियर को वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण कल्याण अधिनियम के अन्तर्गत राहत मिली। एसडीएम ने बेटे और बहू को रिटायर सैन्य अधिकारी का घर खाली करने का निर्देश दिया है। एसडीएम सदर ने अपने आदेश में कहा है कि यह स्वीकार करना होगा कि प्रतिवादी वादी का पुत्र है। उसका पिता की सम्पत्ति में हिस्सा है। बावजूद इसके दोनों को साथ रखने से किसी अप्रिय घटना का खतरा है। एसडीएम प्रफुल्ल त्रिपाठी ने अपने आदेश में कहा है कि प्रतिवादी सैन्य अधिकारी के बेटे जो कि पेशे से डॉक्टर हैं, उनकी पत्नी को सैन्य अधिकारी पिता का विराम खंड एक गोमती नगर स्थित स्वअर्जित मकान खाली करना होगा। इसके लिए बेटे बहू को 15 दिन की मोहलत दी गई है। साथ ही नायब तहसीलदार चिनहट और गोमती नगर थाने के प्रभारी निरीक्षक को आदेश का अनुपालन कराने का निर्देश दिया है। आदेश के अनुसार भरण पोषण अधिनियम के तहत सैन्य अधिकारी ने पिछले वर्ष 26 दिसम्बर को वाद दाखिल किया। इसमें कहा गया कि बेटे बहू का व्यवहार क्रूर और पीड़ादायी है। दोनों दहेज उत्पीड़न और छेड़खानी के आरोप में फंसाने की धमकी देते हैं। एक दिन बेटे बहू ने इतना हंगामा किया कि सैन्य अधिकारी की बेटियों को भी चोट आई। इस पर नौ जून 2018 को अपने चार बच्चों के साथ घर छोड़ना पड़ा और बीरबल साहनी मार्ग स्थित एक अपार्टमेंट में शरण ली। एक बेटी की ओर से राज्य महिला आयोग को शिकायती पत्र भी 14 जनवरी 2019 को दिया गया। इसके जवाब में डॉक्टर बेटे ने आरोपों को झूठा और कपोलकल्पित बताया। वृद्ध हैं और सनक चढ़ जाने पर अक्सर पुलिस को फोन लगा देते हैं।