– एनिमल वेलफेयर बोर्ड से लेना होगा लाइसेंस
भोपाल। बारात या किसी समारोह में अब घोड़ी व ऊंट को नचवाना अब आसान नहीं होगा। इसके लिए संबंधित घोड़ी या ऊंट पालक को एनिमल वेलफेयर बोर्ड से लाइसेंस लेना होगा। अगर बिना लाइसेंस इन पशुओं का उपयोग किया गया या मनोरंजन के लिए नचवाया तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। बिना लाइसेंस के जानवरों को नचवाने पर पशु क्रूरता अधिनियम 1969 की धारा 11, आईपीसी की धारा 428 429 के तहत केस दर्ज किया जाता है। इसमें दोष सिद्ध होने पर दो साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
दरअसल, पशु क्रूरता के खिलाफ पहले भी आवाज उठती रही है। इस बीच दो साल के कोरोना काल में विवाह समारोह, बरात, जुलूस, शोभायात्रा आदि पर प्रतिबंध था जिसके चलते इनका उपयोग नहीं हुआ लेकिन कोरोना संक्रमण कम होते ही जब धीरे-धीरे सभी मामलों में छूट मिल गई तो समारोह-जुलूस निकलने लगे। इसमें देखने में आया कि इसमें घोड़ी-ऊंट का उपयोग ज्यादा तो हो ही रहा है लेकिन इनके नचाया भी खूब जा रहा है। इसके लिए उन्हें टॉर्चर भी किया जा रहा है।
भीषण गर्मी में ऐसे दी जा रही थी पीड़ा
पशु-पक्षियों के हितों में काम करने वाली मेनका गांधी की संस्था पीपल्स फॉर एनिमल की टीम इसे लेकर लगातार मॉनिटरिंग कर रही है। इसमें देखने में आया कि हाल ही में एक समाज ने रेस कोर्स रोड पर एक जुलूस निकाला जिसमें ऊंट का उपयोग किया गया। इसमें ऊंट की नाक में रस्सी डालकर उसे उसके पैर में सेट किया गया था। इससे पैर उठाते पर रस्सी खींचते ही ऊंट डांस करने लगता था। संस्था ने उक्त वीडियो बना लिया। इससे अलावा कुछेक मामले ऐसे देखे गए जिसमें भीषण गर्मी में बैलगाडी पर क्षमता से ज्यादा माल रखा जा रहा था जिससे बैलों की हालत खराब थी।
11 से 3 बजे तक बैलगाडी के उपयोग पर रोक
पीपल्स फॉर एनिमल की अध्यक्ष प्रियांशु जैन ने बताया कि टीम ने इसे लेकर पर्याप्त सबूत एकत्रित किए हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में कलेक्टर ने एक आदेश जारी किया है जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि गर्मी के सीजन में सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक बैलगाडी का उपयोग नहीं होगा। इसके बावजूद इनका उपयोग किया जा रहा है। ऐसे ही घोड़ी, ऊंट या किसी भी तरह के जानवर को व्यवसायिक या मनोरंजन के तौर पर उसका उपयोग करने के लिए मनोरंजन पशु नियम 1993 के तहत एनिमल वेलफेयर बोर्ड (फरीदाबाद) से लाइसेंस लेना अनिवार्य है।
एक के पास भी नहीं था लाइसेंस
तीन साल पहले जब संस्था ने सर्वे किया था पाया कि घोड़े-ऊंट आदि का उपयोग करने वालों में से एक ने भी लाइसेंस नहीं लिया था। लाइसेंस को लेकर अभी स्थिति वैसी ही है। मैदानी हकीकत यह कि आजकल हर बरात या समारोह में घोड़ी को नचवाने का एक सिस्टम बन गया है जिसमें युवाओं व बच्चों को काफी मजा आता है और मांग करने पर लगातार कई देर तक घोड़ी को नचाया जाता है।