बाबा बागेश्वर की कथा के लिए 1-1 किलोमीटर लंबे तीन पंडाल बने

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नई दिल्ली। जैतपुर मेट्रो स्टेशन से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर एक लंबे मैदान में रोड रोलर मिट्टी समतल कर रहा है। आसपास लगे पेड़ पौधों से समझ आ जाता है कि ये मैदान कभी खेत रहा होगा। रुक रुक कर हो रही बारिश की वजह से जलभराव वाली जगह ट्रक मिट्टी डाल रहे हैं। पास ही तंबूनुमा स्टॉल एक लाइन से लगे हैं और इसके ठीक सामने तीन बड़े पंडाल बने हुए हैं। इन्हीं में से बीच वाले पंडाल में उंचा स्टेज बना है जिसपर बाबा बागेश्वर बैठेंगे। यहीं से कथा कहेंगे। दिव्य दरबार भी यहीं होगा। स्टेज के ठीक सामने फायर स्टेशन से कुछ ऑफिसर्स आए हैं जो आयोजन समिति से बात कर रहे हैं। समिति के प्रमुख शैलेंद्र शर्मा उनकी बात गौर से सुनकर जवाब देते हैं कि आपके बताए निर्देशों का पालन शाम तक हो जाएगा। हमारे मन में बालाजी के प्रति श्रद्धा है तो हमारी समिति ने ये सोचा कि बाबा बागेश्वर की कथा का आयोजन करना चाहिए, सभी के सहयोग से ये कार्यक्रम हो रहा है। बाबा पर लोग सवाल उठाते हैं कि शक्ति है या नहीं पर अगर उनमें कोई शक्ति नहीं होती तो इतने लोग उनकी तरफ आकर्षित नहीं होते। कथा के कार्यक्रम के बारे में वो आगे बताते हैं कि 9 जुलाई को कलश यात्रा से शुरु होकर कार्यक्रम 7 दिन चलेगा। 10 तारीख को शाम को कथा 4 बजे चालू होगी और 7 बजे तक चलेगी। 6 दिन तक ये कथा चलेगी। हमें उम्मीद है कि 25 लाख लोग आएंगे। इनके लिये हमने खाने का इंतजाम किया है जो रोजाना चालू रहेगा। ये खुला दरबार है कोई पास नहीं लगेगा, कोई एंट्री फीस नहीं है। हमने किसी से पैसा नहीं मांगा। कोई भी श्रद्धालु भक्त आए३ यहां सबका स्वागत है। कलश यात्रा में आसमान से पुष्प वर्षा का इंतजाम भी हमने किया है। 12 तारीख को दिव्य दरबार लगेगा, सभी को पता है कि दिव्य दरबार में बाबाजी जिसको चाहे बुलाकर उसके मन के प्रश्नों का बताकर उसका समाधान करते हैं। वो भक्तों को परेशानी दूर करने का उपाय बताते हैं। पूरे आयोजन और इतने बड़े पंडाल में कितना खर्चा आया इस सवाल को वो टालते हुए कहते हैं हम कुछ नहीं कर रहे बस बाबा की कृपा है। समिति के दूसरे सदस्य नरेश ठाकुर वहां मैट बिछवा रहे लोगों को कुछ निर्देश दे रहे हैं। हमें देख कर वो कहने लगे जहां हम खड़े हैं वो खाली खेत है इसलिए जमीन नमी लिए है। इसलिए हमने लकड़ी की फ्लोरिंग पूरे पंडाल में लगाई है। इसके उपर गद्दे बिछाए जाएंगे। पंडाल में कूलर पंखे लगाए हैं और फायर सेफ्टी नॉर्म का ध्यान रखा है। पास ही खड़े राहुल गुप्ता बताते हैं कि हलुआ पूड़ी सब्जी की व्यवस्था है। रसोई में रोजाना लगभग डेढ़ लाख लोगों के खाने का इतंजाम किया है। क्विंटल के हिसाब से आलू टमाटर और सब्जियां आ रही हैं। अभी हाल में 1000 किलो आलू मंगाया है। कोई भी मसाले 500 किलो से कम नहीं है। यहां स्टॉल्स भी लगे रहेंगे, जहां किताबें, धार्मिक अनुष्ठान सामग्री और स्नैनैक्स वगैरह मिलेंगे।

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