बांग्लादेश के एक स्कूल ने भी लगाई बुर्के पर लगाई पाबंदी -हिजाब में घुस जाते थे लड़के, हंगामा

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ढाका। भारत राज्य कर्नाटक की ही तरह बांग्लादेश के नोआखाली के सेनबाग उपजिले में एक स्कूल के क्लासरूम में छात्राओं के बुर्का पहनने पर पाबंदी लगा दी गई है। स्कूल के इस आदेश के बाद जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल की तरफ एक नोटिस में कहा गया था कि लड़कियां कक्षा में दाखिल होने के बाद अपना चेहरा नहीं ढक सकती हैं। हालांकि, बाद में मैनेजमेंट ने इस नोटिस को वापस ले लिया। इस पूपे घटनाक्रम के दो सप्तास से अधिक समय हो गए हैं। इसके बावजूद लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हाथों में पोस्टर-बैनर लिए लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं। बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के हवाले से कहा है कि स्कूल प्रबंधन कमेटी के चुनाव के कारण से इस मामले को उछाला गया है। हालांकि, स्कूल प्रशासन का कहना है कि नोटिस की गलत व्याख्या की गई है। भ्रम की स्थिति के कारण नोटिस वापस लेना पड़ा।
मालूम हो कि स्कूल के बाहर मानव श्रंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन कर अपने गुस्से का इजहार किया। वहीं, एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने कहा कि लड़कियों की क्लास में लड़कों के बुर्का पहनकर आने की कई घटना सामने आई थी। लड़कियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूल प्रशासन ने इस तरह का फैसला लिया। स्कूल प्रबंधन ने कक्षा में प्रवेश करने के बाद चेहरा नहीं ढकने का एक निर्देश जारी किया। उन्होंने कहा कि नोटिस में बुर्का ना पहनने या उसपर पाबंदी की कोई बात नहीं थी। उन्होंने कहा कि कई बार स्कूल में नहीं पढ़ने वाली लड़कियां भी क्लास में आ जाती थी।
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में स्कूल प्रबंधन के हवाले से कहा है कि स्कूल के पास एक बाजार में लड़कों ने एक अड्डा बना लिया था। बाजार समिति ने इसके खिलाफ कार्रवाई की। इसके बाद वे लड़के स्कूल को अपना अड्डा बना लिया। लड़कियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमने कक्षा के अंदर चेहरा नहीं ढकने का आदेश जारी किया। इस पूरे प्रकरण पर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा, श्श्नोआखली के शेर-ए-बांग्ला हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक मोजम्मेल हुसैन ने कक्षाओं में बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया। इसलिए बुर्का समर्थक लोगों ने प्रधानाध्यापक के फैसले का विरोध किया। हेडमास्टर ने कहा कि उन्होंने कक्षाओं में बुर्का पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि अज्ञात पुरुष और बाहरी लोग कक्षाओं में प्रवेश करने के लिए बुर्का पहन सकते थे।

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