जयपुर । प्रदेश में अब पांच वर्ष तक के सभी बच्चों के आधार कार्ड बनेंगे। इसके लिए गांवों में स्थित आंगनबाड़ी केन्द्रों में तैनात पर्यवेक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है और उन्हें आधार कार्ड नामांकन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये पर्यवेक्षक आधार कार्ड से वंचित बच्चों के कार्ड बना सकेंगे। केन्द्र सरकार की व्यवस्था के अनुसार वैसे तो आधार कार्ड सभी के लिए जरूरी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी इसके प्रति जागरूकता कम है। इसके कारण यह भी है कि बच्चों को सरकारी स्कूलों में भर्ती कराने की उम्र छह वर्ष है, इसलिए पांच वर्ष तक के बच्चों के आधार कार्ड कम ही बने हुए हैं। ऐसे में अब सरकार इसके लिए अभियान चलाकर पांच वर्ष तक के बच्चों के भी आधार कार्ड तैयार करवा रही है। इसके लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों पर तैनात महिला पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। यह प्रशिक्षण कार्य शुरू हो गया है और तीन फरवरी तक चलेगा। इसमें उन्हें आधार कार्ड रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी जा रही है। महिला पर्यवेक्षकों से कहा गया है कि वे आंगनबाड़ी केन्द्र के तहत आने वाले गांवों के बच्चों में से पांच वर्ष तक के ऐसे बच्चों को चिन्हित करें जिनके आधार कार्ड बने हुए नहीं हैं और उनके घर जा कर या उन्हें आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बुलाकर उनके आधार कार्ड बनाएं। आधार कार्ड बनने से हर -आंगनबाड़ी केन्द्र पर चिन्हित बच्चों के हिसाब से पूरक पोषाहार आ सकेगा और प्री प्राइमरी स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या को भी सही आंकलन हो सकेगा। समेकित बाल विकास सेवा विभाग की निदेशक उर्मिला राजोरिया का कहना है कि पांच वर्ष तक के सभी बच्चों का आधार कार्ड बनने से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर दोहरा नामांकन रुकेगा और समाज कल्याण की योजनाओं में बेवजह खर्च पर रोक लगेगी।