निर्दोष शख्स ने हत्या के झूठे आरोप में 28 साल जेल काटी, जब रिहा हुआ तो उम्र हो चुकी थी 57 साल

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गोपालगंज । न्याय की देवी की आंख में काली पट्टी बंधी होती है मतलब वह साक्ष्यों के आधार ही न्याय करती है पर बिहार के गोपालगंज जिले में न्‍याय व्‍यवस्‍था की एक अजीब दास्‍तान सामने आई है। एक शख्‍स को हत्‍या के आरोप में 28 साल पहले गिरफ्तार किया गया था। अब जाकर उन्‍हें दोषमुक्‍त करार दिया गया है। उत्‍तर प्रदेश निवासी शख्‍स को 28 वर्ष की उम्र में गिरफ्तार किया गया था और अब तकरीबन 57 साल की आयु में रिहा किया गया। इस तरह एक और निर्दोष नागरिक भारतीय न्‍याय व्‍यवस्‍था की दुर्दशा का शिकार हुआ है। इस बीच, शख्‍स के परिजनों ने उन्‍हें अपराधी मानते हुए उनसे रिश्‍ता भी तोड़ लिया। जेल में रहने के दौरान ही उनके माता-पिता का निधन हो गया था और वह उनकी अर्थी को कंधा तक नहीं दे सके थे। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर एक निर्दोष नागरिक की जिंदगी तबाह करने की जिम्‍मेदारी कौन लेगा? इस मामले ने न्‍याय तंत्र की मौजूदा व्‍यवस्‍था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश का एक युवक बिहार के गोपालगंज जेल में अपहरण कांड में 28 वर्षों से विचाराधीन कैदी बन कर सजा काट रहा था। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्वविभूति गुप्ता की कोर्ट ने गुरुवार को उन्‍हें दोषमुक्त करते हुए बाइज्जत बरी कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस की चूक पर भी टिप्पणी की। कोर्ट का फैसला सुनते ही आरोपित फूट-फूट कर रो पड़ा। अपर लोक अभियोजक परवेज हसन ने बताया कि ट्रायल के दौरान पुलिस न तो कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रख सकी और न ही जांच अधिकारी ही कोर्ट में गवाही के लिए आए। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर भी कोर्ट में पेश नहीं हुए। बचाव पक्ष के अधिवक्ता राघवेंद्र सिन्हा ने बताया कि इस केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट के वर्षों से बंद रहने के कारण इसकी सुनवाई वर्षों तक बाधित रही। अंत में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में जब मामला पहुंचा तो कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेकर ट्रायल को पूरा कराने के लिए सुनवाई शुरू की थी।
गोपालगंज जिले के भोरे थाना के हरिहरपुर गांव के रहने वाले सूर्यनारायण भगत 11 जून 1993 को देवरिया के बनकटा थाना क्षेत्र के टड़वां गांव के रहने वाले युवक बीरबल भगत के साथ मुजफ्फरपुर के लिए घर से निकले थे। सूर्यनारायण उसके बाद से लापता हो गए। काफी तलाश करने के बाद 18 जून 1993 को सूर्यनारायण भगत के पुत्र सत्यनारायण भगत के बयान पर भोरे थाना (कांड संख्या-81ध्93) में मामला दर्ज कर बीरबल भगत को नामजद अभियुक्त बनाया गया। बाद में देवरिया पुलिस ने एक अज्ञात शव को जब्त किया, जिसका यूडी केस दर्ज कर शव को दफना दिया गया था। कुछ दिनों बाद परिजनों ने देवरिया पुलिस से मिली तस्वीर के आधार पर पहचाना कि सूर्यनारायण भगत के शव को दफनाया गया था। देवरिया पुलिस ने बीरबल भगत को 27 जनवरी 1994 को एक दूसरे अपराधिक मामले में गिरफ्तार किया। उसमें 11 वर्षों तक सजा कटाने के बाद भोरे पुलिस ने रिमांड पर लेकर गोपालगंज जेल में बंद कर दिया था।
देवरिया के बनकटा थाने के टड़वां गांव निवासी बीरबल भगत को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो उनकी उम्र महज 28 वर्ष थी। अब वह 57 वर्ष की उम्र में जेल से रिहा हुए हैं। जेल में रहने के दौरान ही उनके मां-बाप की मौत हो गई, लेकिन वह कंधा तक नहीं दे सके। परिवार वालों ने भी बीरबल से रिश्ता-नाता तोड़ लिया है। अब सवाल उठता है कि बीरबल भगत अब कहां जाएंगे?

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