Aaj Ki Kiran

देवउठनी एकादशी में विवाह मुहूर्त नहीं, दिसंबर में सिर्फ 6 शुभ मुहुर्त

Spread the love


– बैंड-बाजा और बारात के लिए इंतजार
– शुक्र तारा अस्त होने से बनी स्थिति
– नए साल में 25 जनवरी से मार्च तक मुहूर्त


भोपाल। जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि 10 जुलाई से योग निद्रा में हैं। 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ भगवान की योगनिद्रा समाप्त होगी। लेकिन इस बार देवउठनी एकादशी से विवाह मुहूर्त शुरू नहीं होंगे। इसकी वजह एकादशी के दिन भी शुक्र ग्रह का अस्त रहना है। विवाह की शहनाई बजने के लिए लोगों को ग्यारस के 29 दिन बाद तक इंतजार करना होगा।
यानी मुहूर्त 2 दिसंबर से शुरू होंगे। दिसंबर माह में केवल 6 दिन ही मुहूर्त रहेंगे। इसके बाद लोगों को मकर संक्रांति तक इंतजार करना होगा। मुहूर्त कम होने से शहर के अधिकांश मैरिज गार्डन, होटल व शादी हॉल की बुकिंग लगभग 90 फीसदी तक हो चुकी है। देवउठनी एकादशी को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, यही कारण है कि कई लोग विवाह मुहूर्त नहीं होने के बावजूद भी इस दिन शादियां कर लेते हैं।
इन तिथियों में विवाह मुहूर्त
दिसंबर में 2, 7, 8, 9, 14, 15 (6 दिन)
16 दिसम्बर से 14 जनवरी तक धनु राशि में सूर्य रहने से धनु मलमास रहने से मुहूर्त नहीं है।
जनवरी 2023 – 25, 26, 31
फरवरी 2023 – 9, 10, 15, 16, 22 को शादियां होंगी।
मार्च में – 8, 9 को विवाह मुहूर्त हैं
दीपावली के बाद पहला त्योहार देवउठान एकादशी का बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि इस समय से सभी शुभ कार्यों पर चार माह से विराम लगा वह हट जाता है। ज्योतिषाचार्य डॉ.हुकुमचंद जैन ने बताया कि 4 नवंबर शुक्रवार को देवउठनी एकादशी है, परंतु इस बार इस दिन विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं हैं। क्योंकि शुक्र तारा 30 सितंबर से अस्त चल रहा है जो 23 नवंबर को पश्चिम में उदय होगा। इसके बाद शुभ विवाह मुहूर्त 2 दिसंबर से ही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *