दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे को मिली बड़ी कामयाबी, वंदे भारत ट्रेनों के लिए सफल हुआ परीक्षण

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दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे को मिली बड़ी कामयाबी, वंदे भारत ट्रेनों के लिए सफल हुआ परीक्षण
नई दिल्ली। वंदे भारत ट्रेन अब और सुरक्षित होने जा रही है। न तो कोई हादसे का डर रहेगा और न ही लोको पॉयलट की तरफ से कोई चूक होने का संकट रहेगा। क्योंकि इस ट्रेन के लोको पायलट ने ब्रेक नहीं लगाया, फिर भी 160 किमी प्रति घंटे की गति से चल रही ट्रेन रेड सिग्नल से 10 मीटर पहले ऑटोमैटिक रूप से थम जाएगी। कुछ इसी तरह का परीक्षण बीते रोज हुआ है जिसमें रेलवे को बड़ कामयाबी मिली है। आगरा रेलवे डिवीजन ने शुक्रवार को स्वदेशी रूप से विकसित टक्कर रोधी उपकरण कवच के तहत आठ डिब्बों वाली वंदे भारत ट्रेन में स्थापित ऑटोमैटिक ब्रेकिंग सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। आगरा रेलवे डिवीजन की जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) प्रशस्ति श्रीवास्तव ने ‘को बताया, ‘‘पहले परीक्षण में लोको पायलट ने ब्रेक नहीं लगाया, फिर भी 160 किमी प्रति घंटे की गति से चल रही ट्रेन रेड सिग्नल से 10 मीटर पहले ऑटोमैटिक रूप से थम गई। यह मानक अब देश में आठ डिब्बों वाली सभी वंदे भारत ट्रेन में आजमाया जाएगा।’’
इस परीक्षण से पहले, गुप्ता की देखरेख में आगरा डिवीजन ने अन्य मेल और एक्सप्रेस ट्रेन के लिए 140 किमी प्रति घंटे और 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दो और कवच परीक्षण सफलतापूर्वक किए। आगरा मंडल ने मथुरा (स्टेशन को छोड़कर) और पलवल के बीच 80 किलोमीटर की दूरी पर एक संपूर्ण कवच नेटवर्क विकसित किया है। इसमें स्टेशन क्षेत्रों और अन्य स्थानों पर पटरी पर आरएफआईडी टैग लगाना, स्टेशन जैसे कई स्थानों पर कवच इकाइयों की स्थापना और पटरी के साथ टावर तथा एंटीना की स्थापना शामिल है। अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा विकसित कवच प्रणाली, आपातकालीन स्थिति में ऑटोमैटिक रूप से ब्रेक लगा सकती है जब ट्रेन चालक समय पर कार्य करने में विफल रहता है। आरडीएसओ के अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली और आगरा के बीच तीन हिस्सों में 125 किलोमीटर का हिस्सा पूरे रेल नेटवर्क का एकमात्र हिस्सा है, जहां ट्रेन 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से चल सकती हैं। भारत में अन्य सभी खंड पर ट्रेन अधिकतम 130 किमी प्रति घंटे की गति से चलती हैं।
सभी वंदे भारत ट्रेन में कवच प्रणाली लगी हुई है जो किसी भी कारण से लोको पायलट के कार्य नहीं कर पाने की स्थिति में खुद ब्रेक लगा सकती है। चूंकि इस प्रणाली को एक साथ काम करने के लिए कई अन्य घटक जैसे स्टेशन कवच, ट्रैक की पूरी लंबाई में आरएफआईडी टैग और पटरी के साथ कवच टावर की आवश्यकता होती है, इसलिए भारतीय रेलवे परिचालन सुरक्षा बढ़ाने के लिए अपने नेटवर्क में इन घटक को लागू करने की प्रक्रिया में है। उत्तर मध्य रेलवे जोन के उप मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर कुश गुप्ता की देखरेख में मथुरा और पलवल के बीच सुबह साढ़े नौ बजे परीक्षण शुरू हुआ और दोपहर दो बजे तक पूरा अभ्यास अप और डाउन दोनों दिशाओं में दोहराया गया। श्रीवास्तव ने कहा कि अब 16 डिब्बों वाली वंदे भारत ट्रेन के लिए कवायद की जाएगी।

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