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…तो काशीपुर सीट पर इस बार चीमा, संदीप व बाली के बीच होगा राजनीतिक मुकाबला ?

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काशीपुर। काशीपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस व भाजपा ने भले ही अपने उम्मीदवार अभी घोषित न किये हों लेकिन राजनैतिक चौसर यहां पूरी तरह बिछ चुकी है। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व काशीपुर में आम आदमी पार्टी का झंडा बुलंद करने वाले दीपक बाली को उम्मीदवार घोषित कर आम आदमी पार्टी ने न सिर्फ पहली बाजी अपने कब्जे में कर ली तो दूसरी बाजी यानि प्रचार में भी आम आदमी पार्टी अन्य से अव्वल है। बीते रोज बहुजन समाज पार्टी ने भी गगन काम्बोज को पार्टी में शामिल कर उन्हें चुनाव लड़ाने का इशारा कर दिया। अब आम जनमानस को इंतजार है कांग्रेस व भाजपा के उम्मीदवारों के नामों का। ऐसे में बताना जरूरी है कि टिकट वितरण को लेकर दिल्ली में चल रही स्क्रीनिग कमेटी की बैठक में काशीपुर सीट पर मनोज जोशी, मुक्ता सिंह व संदीप सहगल के नाम सामने रखकर गहन विचार मंथन किया जा रहा है। वैसे सन्दीप सहगल भी दिल्ली में हैं और बेहद ही मजबूत पोजीशन में बताये जा रहे हैं। स्पष्ट कर दें कि कांग्रेस के बैनर तले दो मर्तबा विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा चुके मनोज जोशी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी माने जाते हैं। पांच साल तक जनता से दूरी बनाए रहे जोशी ने इस बार खुले तौर पर कभी अपनी दावेदारी नहीं की लेकिन चुनाव नजदीक आते ही उनकी इच्छा फिर हिलोरें मारने लगी और उन्होंने एक बार फिर से चुनाव लड़ने की इच्छा को सार्वजनिक कर दिया। इधर बताया जा रहा है कि काशीपुर विधानसभा सीट पर वर्षों का राजनीतिक सूखा दूर करने के प्रयासों में जुटा पार्टी आलाकमान पिछले दो चुनावों में मनोज जोशी को मिली हार से सबक लेते हुए इस बार किसी तरह का रिस्क न लेकर जिताऊ युवा चेहरे पर दाँव खेलने का मन बनाते हुए संदीप सहगल के नाम पर गहन विचार मंथन कर रहा है। हालांकि मुक्ता सिंह भी कांग्रेस हाईकमान की पसंद हैं, लेकिन उन्हें अगले वर्ष होने वाले निकाय चुनाव में पार्टी फिर से मेयर का चुनाव लड़ाना चाहती है। वैसे आशीष अरोरा बॉबी व अलका पाल आदि भी टिकट के लिए हरसंभव तरीके से जोर लगाए हुए हैं। बहरहाल टिकट किसे और कब मिलता है, ये भविष्य के गर्भ में है। उधर, भारतीय जनता पार्टी से सिटिंग एमएलए हरभजन सिंह चीमा को पांचवीं बार टिकट मिलना तय माना जा रहा है। फिलहाल, काशीपुर सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला भाजपा, कांग्रेस व आप के बीच होना तय है। यदि किसी वजह से हालात ने करवट ली तो कोई निर्दलीय उम्मीदवार मुकाबले को और रोचक बना सकता है। वैसे जनवरी का तीसरा सप्ताह कांग्रेस व भाजपा के दावेदारों की धड़कनें बढ़ाने वाला है।

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