नई दिल्ली । दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ऑनलाइन ठगी करने वाले एक इंटनेशनल गैंग का भंडाफोड़ किया है। इस सिलसिले में मास्टरमाइंड विदेशी महिला सहित दो साइबर क्राइम अपराधी गिरफ्तार किए गए हैं। गिरफ्तार मास्टरमाइंड महिला चीन की रहने वाली है, जबकि दूसरा गिरफ्तार ठग भारतीय है। अब तक यह गैंग 150 करोड़ यानी करीब डेढ़ अरब से ज्यादा की ठगी ऑनलाइन चाइनीज ऐप की मदद से कर चुका है। इनके निशाने पर अमूमन भारतीय लोग ही ज्यादा होते थे। गिरफ्तार विदेशी महिला का नाम इयू झांग है, जबकि दूसरे गिरफ्तार ठग का नाम विनीत झाबर है। भारतवर्ष को यह तमाम जानकारियां डीसीपी दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल प्रशांत गौतम ने दीं। डीसीपी के मुताबिक, लंबे समय से इस गैंग के बारे में सूचनाएं मिल रही थीं। इन सूचनाओं की पुष्टि होने पर स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशन्स कई विशेष टीमों का गठन किया गया था। इन टीमों में ऐसे मामलों के भांडाफोड़ करने के विशेषज्ञ, एसीपी सुनील पांचाल और सब इंस्पेक्टर मनजीत व मनोज को भी लगाया गया। इन टीमों ने जब देश भर में जाल बिछाकर पता किया तो मालूम पड़ा कि इस गैंग की सरगना तो चीनी मूल की महिला है, जिसने कुछ हिंदुस्तानी ठगों के साथ मिलकर अपना गैंग खड़ा कर रखा है। यह गैंग भारत में तकरीबन अधिकांश राज्यों में अपना जाल बिछाए हुए है। फिर चाहे वो दिल्ली हो, यूपी, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र या फिर गुजरात। अब से पहले ठगी के ऐसे ही मामलों में 22 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार विदेशी महिला और उसके साथी ऑनलाइन ठग के कब्जे से पुलिस ने तीन लैपटॉप, 13 मोबाइल फोन, 7 क्रेडिट, डेविट कार्ड, 2 हार्ड डिस्क, 4 सिमकार्ड, व 3 बैंक चैक बुक जब्त की हैं। गिरफ्तार ठग 28 साल का विनीत झाबर मूल रूप से हरियाणा का रहने वाला है, जबकि चीनी मूल की 52 साल की गिरफ्तार महिला इयू झांग ने भारतीय मूल के शख्स से शादी की थी। उसके पति नरेश चंद्र शर्मा की मौत हो चुकी है। आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली स्पेशल सेल की टीमें पता लगाने में जुटी हैं कि गिरफ्तार साइबर ठग महिला ने भारतीय से शादी कहीं, देश में अपने इस काले-कारोबार की जड़ें जमाने के कुत्सित इरादे से ही तो नहीं की थी। स्पेशल सेल की टीमों द्वारा की जा रही जांच में पता चला कि यह गैंग अब तक, ऑनलाइन साइबर ठगी के जरिए करीब डेढ़ अरब (150 करोड़) रुपए ऐंठ चुका है। छानबीन दौरान निकल कर जो सनसनीखेज तथ्य सामने आया वो यह था कि इस गैंग के झांसे में आने वाले कई लोग सुसाइड तक करने पर उतर आए थे। यह गैंग छोटे-मोटे ऋण बांटकर, फिर जाल में फंस चुके लोगों से मोटी वसूली का अभियान छेड़ देता था। साथ ही जब इस गैंग के संदिग्ध बैंक एकाउंट्स पर आईएफएसओ टीमों की नजर पड़ी तो स्पेशल सेल टीमों की आंखें हैरत से खुली रह गईं। गैंग के अकांउट्स में रोजाना लाखों रुपए की रकम जमा होती थी।