घर से भागे बच्चों के लिए रेल पुलिस बनी सहारा

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जबलपुर। जबलपुर रेल मंडल में रेल सुरक्षा बल द्वारा यात्रियों की सुरक्षा के  साथ ही  स्टेशन पर मिलने वाले छोटे नन्हे- मुन्ने बच्चों की ओर भी  ध्यान रखा जाता है जिसके कारण अब रेलवे परिक्षेत्र में मिलने वाले किसी भी बच्चे को अकेला पाकर रेल सुरक्षा बल उस पर तुरंत जांच पड़ताल प्रारंभ कर देता है।
 ऐसी ही तीन घटनाएं शनिवार को मंडल में हुई जिसमें भटके और घर से भागे हुए नन्हें बच्चों के लिए मंडल की रेल पुलिस सहारा बनकर सामने आई है। सतना से भागकर जबलपुर आए एक १४ वर्षीय बालक दीपेश तिवारी को जबलपुर स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक १ के बाहर रेल सुरक्षा बल के एएसआई इंद्रमणि पंद्रे तथा  राजेंद्र सिंह बघेल ने अकेला देखकर उसको अपने पास बुलाया और उसकी जांच पड़ताल की तो पता चला कि बालक दीपेश सतना के रामपुर बघेलान के निकट एक गांव में रहने वाले अजय तिवारी का पुत्र है जो कि घर से बिना बताए जबलपुर आ गया था। इस पर रेल सुरक्षा बल ने युवक के पिता को बुलाकर उनसे बच्चे के बारे में जानकारी ली तथा है एसआई कु. प्रीति ने  बच्चे को पाक साफ  हालत में उनके परिजनों के सुपुर्द किया।  इसी तरह गाड़ी नंबर ०९४९० के एस ५ कोच में बैठे एक १२ वर्षीय बालक को चल टिकिट निरीक्षक  निर्मल कुमार ने  रोता हुआ पाया जिस पर उसने गाड़ी के अगले स्टेशन सागर में आरपीएफ पोस्ट के विक्रांत सिंह और विनय कुमार को इसकी सूचना दी जिस पर उसे सागर में उतारा गया। इस नन्हे बालक ने  अपना नाम अब्दुल गफ्फार बताया कि ग्राम  घोसी  जिला मऊ का निवासी था इस बालक को चाइल्ड लाइफ के सुपुर्द कर उसके परिजनों को सूचित कर  दिया गया है। एक अन्य घटना में भी सतना में आरपीएफ के सहायक उप निरीक्षक एमपी मिश्रा तथा आरक्षक मीरा देवी ने स्टेशन पर गश्त के दौरान कामायनी एक्सप्रेस में मुंबई से आई   एक बच्ची को रोते हुए पाया अश्वनी मंगेश नामक १४ वर्षीय बालिका  दादी के घर नांदेड़ जाते समय गलती से दूसरी गाड़ी कामायनी एक्सप्रेस में बैठ गई थी।इस बालिका को भी चाइल्ड लाइन में  सुरक्षित रखा गया है। रेल पुलिस द्वारा स्टेशन पर घूमने वाले अकेले होते बच्चों की हमेशा नाक की जाती है तथा उनके संबंध में जानकारी लेते हुए उन्हें चाइल्ड लाइन के पास रखा जाता है जिससे उन्हें सुरक्षित उनके परिजनों को वापस सौंपा जा सके रेल पुलिस की इस कार्य की बड़ी संख्या में लोगों ने सराहना की है।

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