गंगा व यमुना की भांति पवित्र भाव से मिलो व जीवन को प्रयागराज बनाओरू श्रीहरि चैतन्य महाप्रभु

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गंगा व यमुना की भांति पवित्र भाव से मिलो व जीवन को प्रयागराज बनाओरू श्रीहरि चैतन्य महाप्रभु

गंगा व यमुना की भांति पवित्र भाव से मिलो व जीवन को प्रयागराज बनाओरू श्रीहरि चैतन्य महाप्रभु
गंगा व यमुना की भांति पवित्र भाव से मिलो व जीवन को प्रयागराज बनाओरू श्रीहरि चैतन्य महाप्रभु

काशीपुर। स्वामी श्री हरि चैतन्यपुरी जी महाराज ने आज गढ़ीनेगी में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि परिवारए नगरए राष्ट्र व समाज में सब आपस में मिलकर एक हो जाएं संसार एक मेला है तथा मेले का अर्थ है मिलाप। मेले में जाकर तो आनंद आता है लेकिन यदि मेलों में ठीक से चलना ना आयाए बोलना ना आयाए व्यवहार करना ना आया तो मेला झमेला बनते भी देर नहीं लगती। संसार रूपी मेले में भी अधिकांश लोगों के जीवन में आज वो आनंदए उत्साह व उमंग दिखाई नहीं देती है। लगता है लोगों के लिए भी यह संसार रूपी मेला झमेला बन चुका हैं। विशेषतया उनके लिए जिन्हें जीने की कला नहीं आती क्योंकि जीना भी एक कला है। उन्होंने चार प्रयागराजों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि घ्यान की एकाग्रता के लिए एक ईष्ट का चुनना बहुत आवश्यक है। अपने धारा प्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सारा वातावरण भक्ति मय में हो उठा। हज़ारों भक्तों के साथ साथ संतों ने भी श्री महाराज जी का प्रयागराज में भव्य स्वागत किया। शासन व प्रशासन ने भी भारी भीड़ के बावजूद श्री महाराज जी को संगम घाट तक पहुँचाने की व्यवस्था की। इससे पूर्व महाराज जी का कानपुर के अनेक स्थानोंए पनकी के अनेक स्थानों व पनकी हनुमान मंदिर मेंए बिठूर के अनेक स्थानों व सैनी कौशाम्बीए लखनऊए बरेलीए किच्छाए दानपुर में हज़ारों भक्तों ने भव्य स्वागत किया। प्रातः काल श्री महाराज जी ने प्रयागराज संगम में स्नान व अभिषेक किया व अनेक कार्यक्रमों में भाग लेकर दोपहर गढीनेगी पहुंचे।

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