किडनी,फेंफड़े,लीवर और आंखे दान कर 4 लोगों को जिंदगी दें गई रिटायर कर्नल की पत्नी
रोहतक। धन,दौलत जमीन संपदा दान करने वालों की संख्या काफी हो सकती है लेकिन अंगदान करके दूसरों की जिंदगी बचाने वाले आज भी कम ही होते हैं। रोहतक में रिटायर कर्नल की पत्नी ने अपने अंग दान कर 4 लोगों को जीवन दान दिया है। देश सेवा से जुड़े परिवार ने ब्रेन डेड हो चुकी महिला के अंगदान का फैसला किया और 2 लोगों को जीवनदान के साथ 2 लोगों की आंखों की रोशनी देकर पूरे प्रदेश में अंगदान की अलख जगा दी। पीजीआईएमएस निदेशक डॉ। एसएस लोहचब ने रविवार को महिला के अंतिम संस्कार में पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मरीज के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद डॉ ईश्वर और स्टेट ऑर्गन टिशू ट्रांसप्लांट ऑरगेनाइजेशन (सोटो) की टीम ने परिवार को अंगदान के बारे में बताया। इस पर महिला के पति, बेटे और बेटी ने अपनी मां की यादों को जिंदा रखने का फैसला किया। परिवार ने किडनी, लीवर, फेफड़े और आंखें दान करने की सहमति प्रदान की। महिला के पति रिटायर्ड कर्नल ने बताया कि उसकी पत्नी रोहतक में रहती थी। जिसके चलते जब भी उनके गांव से कोई व्यक्ति पीजीआईएमएस में इलाज करवाने आता था तो वह हमेशा उनकी पूरी मदद करती और आज जब वह दुनिया से चली गई है तब भी वह समाज के लिए एक नेक कार्य कर गई है और कई लोगों को नया जीवनदान देकर गई है। कर्नल के मुताबिक पत्नी ने हमेशा अपने परिवार को एक मजबूत स्तंभ की तरह संभाल के रखा जिसके चलते आज उनके सभी बच्चे बहुत अच्छे पदों पर कार्यरत हैं और देश की सेवा कर रहे हैं।
रोहतक में रह रहे एक रिटायर्ड कर्नल की करीब 60 वर्षीय पत्नी को ब्रेन हेमरेज हो गया था। उसे इलाज के लिए पीजीआईएमएस के न्यूरो सर्जरी विभाग में डा ईश्वर सिंह की निगरानी में आईसीयू में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की टीम ने महिला को बचाने का भरसक प्रयास किया। इलाज के दौरान पाया गया कि मरीज ब्रेन डेड है। ऐसे में डॉक्टरों ने डेथ सर्टिफिकेट कमेटी को अपना अलर्ट भेजा। इस पर निदेशक डॉ एसएस लोहचब और चिकित्सा अधीक्षक डॉ कुंदन मित्तल ने तुरंत प्रभाव से कमेटी बनाकर मरीज की क्लीनिकल जांच और परीक्षण समेत सभी मेडिकल जांच करने के आदेश दिए। कमेटी ने पाया कि मरीज ब्रेन डेड हो चुकी है।
इसके बाद तुरंत प्रभाव से हरियाणा और अन्य राज्यों में अलर्ट भेजा गया। जहां से अलग-अलग अस्पतालों की टीम अंग लेने के लिए पीजीआईएमएस रोहतक पहुंची, लेकिन फेफड़े किसी अन्य मरीज के लिए फिट न होने के चलते केवल लीवर, किडनी और आंखें ही दान की जा सकी। हेल्थ यूनिवर्सिटी की वीसी डॉ अनीता सक्सेना ने कहा कि इस परिवार ने प्रदेश का दूसरा अंगदान करके एक नई मिसाल कायम की है कि हम मरने के बाद भी इस दुनिया में अपनों को कैसे जीवित रख सकते हैं। सोटो के नोडल अधिकारी डॉ सुखबीर सिंह ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अंगदान के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय स्थित स्टेट ओरगन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के ऑफिस से कार्य दिवस पर आकर जानकारी प्राप्त कर सकता है। इससे पहले फरवरी माह में पीजीआईएमएस रोहतक में पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट की सफलतापूर्वक सर्जरी हुई थी। संस्थान के डॉक्टरों की टीम ने करीब 43 वर्षीय ब्रेन डेड डोनर मरीज की दोनों किडनी को 2 जरूरतमंद मरीजों को ट्रांसप्लांट कर दिया, जबकि डोनर मरीज का लीवर भी ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली भेज दिया था।
निदेशक डॉ एसएस लोहचब ने बताया कि पीजीआईएमएस ने दूसरी बार अंगदान करवाया गया है। ऐसे में बेंगलुरु और आईएलबीएस नई दिल्ली से टीम अंग लेने के लिए पहुंची थी। उन्होंने बताया कि शरीर से अंग निकालने के बाद उसकी कुछ घंटे की मियाद होती है जिसके अंदर अंग को किसी अन्य शरीर में लगाना होता है अन्यथा वह अंग खराब हो जाता है। ऐसे में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से संपर्क किया गया तो उन्होंने बिना किसी देरी के तुरंत प्रभाव से रोहतक से दिल्ली तक ग्रीन कॉरिडोर तैयार करवा दिया। पीजीआईएमएस से दिल्ली तक पहुंचने में कई बार करीब 3 से 4 घंटे लग जाते हैं लेकिन रोहतक पुलिस की मदद से एम्बुलेंस, लीवर को लेकर डेढ़ घंटे से भी कम समय में दिल्ली पहुंच गई।