उत्तराखण्ड डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ का त्रयोदश महाधिवेशन समापन

देहरादून। उत्तराखण्ड डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ सिंचाई विभाग द्वारा जो मांग पत्र प्रस्तुत किया गया है उन सभी न्यायोचित समस्याओं पर गंभीरता से विचार कर समाधान करने का प्रयास किया जायेगा। उक्त बात प्रदेश के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने यमुना कालोनी स्थित अधिकारी क्लब में उत्तराखण्ड डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ सिंचाई विभाग के त्रयोदश महाधिवेशन -2025 के समापन अवसर पर संघ के सभी सदस्यों एवं पदाधिकारियों को महाधिवेशन के अनुशासित, भव्य एवं सफल आयोजन हेतु अपनी बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कही। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि अपने अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि सिंचाई विभाग के पास अपने पूर्ववर्ती तत्कालीन संयुक्त उत्तर प्रदेश के गौरवशाली अभियान्त्रिकी इतिहास की उपल्बिधयाँ तथा विशेषज्ञता उपलब्ध है। सिंचाई विभाग द्वारा स्वतन्त्रता प्राप्ति के पूर्व में ही गंगा-यमुना के दोआभ में बडी-बडी सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण व विकास किया गया।
सिंचाई मंत्री महाराज ने कहा कि आजादी के बाद इस सिंचाई विभाग ने प्रदेश के कोने-कोने में जल संसाधनों को योजनाबद्ध ढंग से विकसित करने का भगीरथ प्रयास करने के साथ-साथ लघु-मध्यम और बड़ी-बड़ी सिंचाई योजनाओं का निर्माण कर प्रदेश के कृषकों की आर्थिकी में योगदान देने के अलावा हरित कान्ति के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अपनी महती भूमिका अदा की है। उन्होंने सिंचाई विभाग के मेधावी अभियन्ताओं के श्रम एवं कुशल प्रबंधन के लिए उन्हें साधूवाद देते हुए उत्तराखण्ड में स्थित गंगा-यमुना और इनकी सहायक नदियों पर बडी-बडी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि हमें भूकम्प रोधी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए भविष्य की योजनाएं बनानी चाहिएं। सिंचाई मंत्री महाराज ने उत्तराखण्ड डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ को आश्वस्त किया कि भविष्य में यदि सिंचाई विभाग का पुर्नगठन होगा तो विभागीय पदों की कटौती नहीं की जायेगी। साथ ही उन्होंने सिंचाई विभाग में रिक्त कनिष्ठ अभियन्ताओं के पदों को भी शीघ्र भरने की बात भी कही।