उत्तराखंड में भी ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिले:अलका पाल

Spread the love

काशीपुर- उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी की प्रदेश सचिव व अखिल भारतीय पाल महासभा कि महिला प्रदीप अध्यक्ष अलका पाल ने कहा कि मंडल कमीशन के आधार पर उत्तराखंड की भाजपा सरकार को अन्य पिछड़े वर्ग को 27% का आरक्षण देना चाहिए l वरिष्ठ कांग्रेसी नेत्री अलका पाल ने कहा कि संसद में कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़ा संविधान (127 वां संशोधन) विधेयक, 2021 सर्वसम्मति से पास करवा कर अन्य पिछड़ा वर्ग की लंबे समय से चली आ रही लंबित मांगों को पूर्ण करने में अपनी सहमति जताई है l ऐसे में जरूरी है कि उत्तराखंड में भी राज्य सरकार इन संशोधनों को शीघ्र लागू करें l वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अलका पाल ने कहा कि उत्तराखंड राज्य गठन के समय केवल 14 फ़ीसदी आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित किया गया था, क्योंकि राज्य निर्माण को 20 वर्ष से अधिक का समय हो चुका है, ऐसे में ओबीसी वर्ग की जनसंख्या भी बढ़ चुकी है l पिछड़े वर्ग के लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए आरक्षण को बढ़ाना बहुत जरूरी है l पीसीसी सचिव अलका पाल ने जोर देते हुए कहा कि उत्तराखंड में क्रीमीलेयर 10 लाख से ऊपर होना चाहिए जो कि अभी तक 8 लाख सालाना है l उत्तराखंड गठन के दौरान पूर्व उत्तर प्रदेश से 79% जातियां पंजीकृत की गई थी,जबकि वर्ष- 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड में करीब 15% लोग ओबीसी के दायरे में आते हैं l जातिवार जनगणना ना होने से ओबीसी समुदाय का हक मारा जा रहा है l उत्तराखंड में जातिवार जनगणना होने से ओबीसी समुदाय की संख्या में बढ़ोतरी हो हो सकती है l उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में अति पिछड़ा वर्ग के साथ इंसाफ करना है, तो क्रीमीलेयर का दायरा बढ़ाना होगा l कांग्रेसी नेत्री अलका पाल ने कहा कि ओबीसी प्रमाण पत्र की वैधता पूर्व में केवल छह महीने थी, जिसको तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बढ़ाकर 3 साल किया था l आज समय के अनुसार ओबीसी प्रमाण- पत्र की वैधता को भी अनुसूचित जाति- प्रमाण पत्र की वैधता के सम्मान किया जाना चाहिए, क्योंकि जातियां बदली नहीं जाती हैं उन्होंने राज्य सरकार को सख्त लहजे में कहा कि ओबीसी वर्ग की अब और उपेक्षा नहीं सही जाएगी l

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

hello