उत्तराखंड ने भू-तापीय ऊर्जा से बिजली बनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया

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उत्तराखंड ने भू-तापीय ऊर्जा से बिजली बनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया

उत्तराखंड ने भू-तापीय ऊर्जा से बिजली बनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया
उत्तराखंड ने भू-तापीय ऊर्जा से बिजली बनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया

देहरादून। उत्तराखंड ने भू-तापीय ऊर्जा से बिजली बनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा दिया। शुक्रवार को सचिवालय में उत्तराखंड ने आइसलैंड की कंपनी वर्किस कंसल्टिंग इंजीनियर्स के बीच एमओयू हुआ। कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से जुड़े मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस एमओयू को उत्तराखंड के साथ-साथ देश की ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के क्षेत्र में एक मील का पत्थर बताया। कहा कि भूतापीय ऊर्जा के इस एमओयू के माध्यम से न केवल स्वच्छ और नवीनीकरण ऊर्जा का लक्ष्य प्राप्त होगा बल्कि पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित रहते हुए समावेशी विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा। सीएम ने कहा कि आइसलैंड भूतापीय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी देश है। उसके तकनीकी सहयोग और अनुभव से उत्तराखंड भूतापीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण राज्य बनकर उभरेगा। केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से इस प्रोजेक्ट को एनओसी मिल चुकी है। राज्य में भूतापीय ऊर्जा के व्यवहारिकता के अध्ययन पूरा खर्चा आइसलैंड सरकार उठाएगी। सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार भू-तापीय ऊर्जा से बिजली बनाने के लिए प्रथम चरण में तपोवन को चुना गया है। भारतीय भू- वैज्ञानिक सर्वेक्षण और वाडिया हिमालय भू- विज्ञान संस्थान ने कुछ समय पहले गहन सर्वेक्षण कर राज्य में भू तापीय महत्व के क्षेत्रों को चिह्नित किया था। लगभग छह माह के भीतर आईसलैंड की कंपनी अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। घ्वाडिया ने भूतापीय ऊर्जा के लिए बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री समेत विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे 40 स्थान चिन्हित किए गए हैं।

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